PATNA : रियल हीरो आफ बिहार में आज बिहार के पूर्णिया के नवनीत आनंद के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने संघर्ष का रास्ता चुना और ना सिर्फ अपने माता—पिता का सपना साकार कर दिखाया। नवनीत कहते हैं कि मैं दो बार यूपीएससी परीक्षा में बैठ चुका था लेकिन सफलता के बदले बार—बार असफलता हाथ लग रही थी। मानों चारों ओर अंधेरा सा छा रहा था। कांफिडेंस लेवल कम होने लगा था। लेकिन मैंने हार मानने के बदले जमकर तैयारी की। उस समय मैं सिर्फ 23 साल का था। तीसरे प्रयास में मैं यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर गिया और देश भर में मुझै AIR 499 प्राप्त हुआ।
नवनीत आनंद कहते हैं कि वे बिहार के मिथिला क्षेत्र के रहने वाले हैं। मधुबनी जिला में एक छोटा सा गांव है जिसका नाम है हरभंगा। मैं जब सातवीं कक्षा में पढ़ता था तभी हमारे परिवार में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। एक सड़क हादसे में मेरे पिता की मृत्यु हो गई। पूरा परिवार बिखड़ सा गया। मां का रो रोकर बुरा हाल था लेकिन उन्होंने हिम्मत से काम लिया और पूरे परिवार को संभाला।
इन चुनौतियों के बावजूद मां ने मुझे पढ़ाने का फैसला लिया। मैं दिन रात पढ़ाई करता रहा। मेरा सपना था कि मैं राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में शामिल होकर देश की सेवा करू, लेकिन मेरा सपना साकार नहीं हो पाया। मायोपिया नामक बीमारी के कारण मुझे सिलेक्ट नहीं किया गया।
इसके बाद मैंने अन्य सरकारी परीक्षाओं पर अपना ध्यान केंद्रित किया। मैंने अंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली से अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की है। यूपीएससी की तैयारी के साथ-साथ, नवनीत ने कई प्रतिष्ठित परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं, जिनमें संयुक्त रक्षा सेवा (सीडीएस) परीक्षा, यूजीसी नेट जेआरएफ और यूपीएससी सीएपीएफ परीक्षा शामिल हैं।
सीआईएसएफ में सहायक कमांडेंट के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त करते हुए, नवनीत ने अपना सपना साकार किया – बिना किसी कोचिंग के, अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण कर अखिल भारतीय स्तर पर 499वीं रैंक प्राप्त की।