पटना-मुजफ्फरपुर के बीच अब नहीं लगेगा जाम, हाजीपुर में बनेगा बायपास, 150 करोड़ मंजूर

हाजीपुर बायपास निर्माण का 7 साल से चल रहा इंतजार खत्म, आज से 17 किमी फासले को मिटाने का होगा कामउम्मीद कीजिए एक साल बाद इस मार्ग पर भर सकेंगे फर्राटा

सात साल से ठप 17 किमी हाजीपुर-मुजफ्फरपुर बायपास का निर्माण शनिवार से शुरू हाे जाएगा। निर्माण के लिए उत्तराखंड की एक निर्माण एजेंसी शुक्रवार काे शहर पहुंच गई। शनिवार काे मधाैल गांव से बायपास का विधिवत निर्माण शुरू हाेगा। इस मौके पर एनएचएआई के अधिकारियाें के साथ ही डीएम डाॅ. चंद्रशेखर सिंह, एसएसपी जयंत कांत सहित अन्य अधिकारी के उपस्थित रहने की संभावना है।

पहले चरण में मधाैल से पताहीं तक बायपास का निर्माण पूरा किया जाएगा। उसके बाद पताहीं से सदातपुर तक बायपास निर्माण हाेगा। एक वर्ष के अंदर काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2013 तक गैमन एजेंसी 17 किमी बायपास में से करीब 6 किमी की दूरी में सड़क निर्माण पूरा कर चुकी थी। अधिग्रहित जमीन पर मिट्टी भराई का भी काम लगभग पूरा हाे चुका है।

इस बीच मुआवजा दर काे लेकर किसानाें की आपत्ति के बाद बायपास निर्माण ठप हाे गया। 2013 के अंत में एजेंसी ने काम छाेड़ दिया। इसके बाद तमाम प्रयासाें के बीच मामला उलझता गया। अंतत: इस साल के शुरुआत में एनएचएआई ने इस पूरे प्राेजेक्ट काे बंद करने के लिए डी-स्काेप श्रेणी में डाल दिया। पथ निर्माण विभाग की पहल पर नए सिरे से काम शुरू कराने पर सहमति बनी है।

150 कराेड़ के फाइनल एस्टीमेट को एनएचएआई से मिली है स्वीकृति : 22 मई काे सभी पक्षाें के साथ डीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक में एनएचएआई ने नए सिरे फाइनल एस्टीमेट काे स्वीकृति देने पर सहमति जताने के साथ करीब 150 कराेड़ रुपए का फाइनल एस्टीमेट काे स्वीकृति दे दी। जिसमें सभी 36 गांव के भू धारियाें काे बकाया मुआवजा पर 30 जून तक 12 फीसदी ब्याज देने की बात कही गई है।

जिसके बाद कैंप लगाकर मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अबतक मधाैल के 98 तथा दरियापुर कफेन के 9 भू धारियाें ने कागजात जमा कर मुआवजा लेने काे सहमति पत्र दे दी है। मधाैल के 98 में से 56 भू धारियाें के बैंक खाते में राशि उपलब्ध करा दी गई है। हालांकि, कुछ भू धारी मुआवजा काे लेकर अब भी आपत्ति जता रहे हैं।

शहर काे जाम से निजात दिलाने के लिए मधाैल से सदातपुर तक का निर्माणाधीन 17 किमी बायपास लगातार विराेध, लालफीताशाही और जिद के कारण 7 साल से अटका था। 2015 में तिरहुत की भूमि से प्रकाशन के साथ ही हमने इस बड़ी जनसमस्या पर लगातार नजर रखी। मुअावजे के पेच काे लेकर जब-जब इस प्राेजेक्ट से प्रशासन, एनएचएआई आदि ने मुंह माेड़ा DAILY BIHAR ने इस मुद्दे काे जाेर-शाेर से उठाया।

नतीजा यह निकला कि बढ़ते दबाव में जनप्रतिनिधियाें ने लाेकसभा से लेकर विधानसभा तक आवाज बुलंद की। मंत्रालय तक इस प्राेजेक्ट की जरूरत पर चर्चा हुई। ठंडे बस्ते में डाल दी गई यह परियाेजना अब साकार हाेने की दिशा में आज से बढ़ गई है। उम्मीद कीजिए एक साल बाद आप इस बायपास पर फर्राटा भरेंगे।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *