अभी-अभी: बिहार में आज अब तक मिल 12 नए कोरोना मरीज, नौ सीवान के एक ही परिवार से, कुल 51 मरीज

सीवान और गोपालगंज को अविलंब सील करने की जरूरत है मुख्यमंत्री जी। तीसरा चरण कहीं भारी न पड़ जाए।

आज बिहार में अब तक 12 नए कोरोना पॉजिटिव केस मिले हैं। इनमें से नौ सीवान के एक ही परिवार से हैं। 7 महिलाएं और दो पुरुष, ये लोग ऐसे परिवार से हैं जहां एक व्यक्ति खाड़ी देश की यात्रा कर लौटा था। इसका मतलब है कि उस व्यक्ति का या तो होम आईसोलेशन नहीं हुआ। या हुआ भी तो परिवार के लोगों ने केयर नहीं किया। सीवान से एक और केस मिला है जो गल्फ से लौटा है। कुल दस आज मिले। सीवान बड़ा हॉट स्पॉट बन गया है।

दो बेगूसराय के हैं, उनकी ट्रेवल हिस्ट्री तलाशी जा रही है। यह अच्छा है कि संक्रमित लोग तेजी से सामने आ रहे हैं। इसे पॉजिटिव मानकर चलें। सीवान के लोग सतर्क रहें। विदेश यात्रा करके आये लोग जल्द से जल्द सरकार को सूचना दें। ताकि उनका टेस्ट हो और संक्रमण को रोका जा सके।अब बिहार में कुल संख्या 51 है। जिसमें एक की मौत, 16 स्वस्थ हुए और 34 एक्टिव हैं। इलाजरत हैं।

कल मंगल पांडे जी ने कहा कि बिहार सरकार के पास 29 हजार टेस्ट किट हो गए हैं। क्या बिहार सरकार अब तेजी से टेस्ट कराएगी? क्योंकि बिहार में लॉक डाउन का मसला टेस्ट की धीमी गति से भी जुड़ा है। लॉक डाउन के 17-18 दिन बीतने के बावजूद सरकार पांच हजार के आसपास ही टेस्ट करा सकी है। सस्पेक्ट लिस्ट 12 हजार के पार है। क्या सरकार यह टारगेट लेकर काम कर सकती है कि इन 12 हजार लोगों के टेस्ट दो दिन में करा दे? अब तो किट भी है।

कम से कम बिहार में अभी यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि यहां कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं हुआ है। अब तो जो केस मिले हैं, अमूमन उनकी ट्रेवल हिस्ट्री है, या वे संक्रमित लोगों के सीधे संपर्क में आये हैं। ऐसे में सभी ट्रेवल हिस्ट्री और उनके संपर्क में आये लोगों की झट से टेस्ट करा कर बिहार में संपर्क की संभावना को न्यूनतम किया जा सकता है। इसके बाद लॉक डाउन में भी ढील दी जा सकती है। मगर इसके लिये टेस्ट की गति तेज करनी होगी।

mangal pandey


बिहार में टेस्ट की गति तेज करने में एक बाधा प्रोटेक्शन किट की भी थी, स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक वह समस्या भी काफी हद तक ठीक हो गयी है। एक मसला है टेस्टिंग सेंटर की संख्या बढ़ाने का, वह तो इतना आसान नहीं है। मगर फिर भी सीवान जिला जिस तरह से हॉट स्पॉट बन रहा है, वहां लोकल टेस्टिंग सेंटर बनाने की बहुत जरूरत है।

बिहार जैसे राज्य के लिये लॉक डाउन को लंबा खींचना बहुत टफ टास्क है। यहां की 70-80 फीसदी आबादी के लिये रोजी रोटी का संकट है। उसके पास कोई बैकअप भी नहीं है कि वह महीना दो महीना खींच सके। सरकारी सहायता का हाल जगजाहिर है। खेती, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, फिशरी, मुर्गी पालन जो बिहार की आजीविका के सबसे बड़े साधन हैं, लॉक डाउन में इनकी कमर टूट रही है। धोबी, नाई, ऑटो वाले, रिक्शा वाले, मोची जैसे लोगों का हाल बुरा है। अगर इन लोगों Kओ जिंदा रखना है तो एक ही उपाय है।

टेस्ट ज्यादा से ज्यादा हों, संक्रमित लोगों का उपचार हो। ताकि जो लोग अभी तक संक्रमण से बचे हैं, धीरे धीरे नॉर्मल लाइफ की तरफ बढ़ सकें। मगर शायद सरकार यह सोच रही है कि टेस्ट कम होंगे तो संक्रमित लोग कम होंगे, फिर हमारा कमजोर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर उसे किसी तरह झेल लेगा।

-Pushya Mitra

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