शराब बंदी पर टोका टोकी करने से गुस्साए CM नीतीश, कहा- मुआवजा देने का सवाल ही नहीं उठता

नीतीश कुमार जब से बीजेपी का दामन छोड़कर राजद गठबंधन के साथ शामिल हुए हैं तब से उनका बदला बदला सा रूप नजर आ रहा है. ऐसा लग रहा है मानो विपक्ष अर्थात बीजेपी के नेताओं ने उन्हें असहज कर दिया है. शराबबंदी मामले पर विपक्ष लगातार नीतीश सरकार पर हमलावर है. वहीं नीतीश कुमार बार-बार विपक्ष को जवाब देकर यह साबित कर रहे हैं कि विपक्ष के सवाल उन्हें परेशान कर रही है.

ताजा अपडेट के अनुसार नीतीश कुमार ने छपरा शराब कांड मामले की जांच मानवाधिकार आयोग द्वारा किए जाने पर आपत्ति जताई है. नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार से इतर भी कई ऐसे राज्य हैं जहां शराब पीने से लोगों की मौत हुई है लेकिन वहां कोई आयोग जांच करने नहीं पहुंचा. सिर्फ बिहार को निशाना क्यों बनाया जा रहा है. गुजरात के मोरबी में जब छठ पूजा की रात हादसा हुआ और डेढ़ सौ से अधिक लोग मारे गए तब कोई आयोग वहां जांच करने क्यों नहीं पहुंचा. पश्चिम बंगाल में जब पुल हादसा हुआ तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक्शन ऑफ गॉड बताया लेकिन मोरबी पूल हादसे मामले पर चुप्पी साधे रखा.

केंद्र की मोदी सरकार को सीख देते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि पहले मोदी सरकार को यह जान लेना चाहिए कि शराबबंदी करने का अधिकार किसके पास है राज्य या केंद्र के पास. वहीं विपक्ष को जवाब देते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि छपरा शराब कांड में मुआवजा देने का कोई प्रश्न ही नहीं खराब होता है.

विधानसभा परिसर में भाजपा द्वारा आयोजित धरना प्रदर्शन पर नीतीश कुमार ने कहा कि जब हम बीजेपी के साथ थे तब इन लोगों ने शराबबंदी कानून का सपोर्ट किया था अब क्योंकि गठबंधन से बाहर हो गए हैं इस कारण यह लोग विरोध कर रहे हैं. या ठीक नहीं है.

बताते चलें कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की 4 सदस्य टीम में छपरा के विभिन्न गांव का दौरा किया जहां शराब पीने से लोगों की मौत हुई थी.

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