PATNA (Nitish Kumar’s new ministers have PHD, so someone has passed MBA-MBBS, someone has a murder case going on, know the accounts) :मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बजट सेशन से पहले चुनावी साल में कैबिनेट का विस्तार किया है और भाजपा कोटे से सात लोगों को मंत्री बनाया गया है। इस कैबिनेट विस्तार में सभी क्षेत्र एवं जातियों का विशेष ध्यान रखा गया है। आज इस स्टोरी में हम आपको उन सात लोगों का लेखा-जोखा बताने आए हैं जिन्हें नीतीश कुमार ने विश्वास करके मंत्री बनाने का काम किया है। इन सात लोगों में कोई पीएचडी डिग्री धारी है तो कोई एमबीए और एमबीबीएस पास डॉक्टर है। कोई तो ऐसे भी नेता है जिनकी पहचान क्षेत्र में दबंगई के कारण होता है और उनके ऊपर दफा 302 के तहत मर्डर केस चल रहा है।
संजय सरावगी : सबसे पहले दरभंगा के विधायक संजय सरावगी के बारे में जान लेते हैं जो की लगातार पांचवीं बार विधायक बने हैं। आसान भाषा में कहा जाए तो साल 2005 के बाद से वह एक भी चुनाव नहीं हारे हैं। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से उन्होंने एमकॉम और एमबीए की डिग्री प्राप्त की है। छात्र जीवन से ही उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़कर पॉलिटिक्स आरंभ किया था। यह पहले दरभंगा नगर निगम की वार्ड पार्षद बने और उसके बाद विधायक और फिर मंत्री बने हैं।
जीवेश मिश्रा : दरभंगा के जाले से विधायक हैं और साल 2015 में पहली बार विधायक बने थे। भूमिहार जाति से आते हैं। साल 2020 में इन्हें बिहार सरकार में श्रम संसाधन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का मंत्री बनाया गया था। इनका जन्म साल 1973 में हुआ है और इन्होंने मिथिला विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है। इन्होंने भी अपनी राजनीति करियर का शुभारंभ एबीवीपी से की है।
राजू कुमार सिंह : राजू कुमार सिंह मुजफ्फरपुर के साहिबगंज से विधायक है और उनके ऊपर एक मर्डर केस भी चल रहा है। राजपूत जाति से आते हैं। साल 1970 में इनका जन्म हुआ है। इन्होंने बीटेक एमटेक और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की है। यह बहुत बड़े कारोबारी है। रूस के मास्को में भी इनका कारोबार है। साल 2005 में इन्होंने जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ा था और पहली बार विधायक बने थे। साल 2010 मैं दोबारा विधायक बने लेकिन 2015 में इन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया और उस साल चुनाव हार गए। 2020 के चुनाव में इन्होंने मुकेश सहनी से दोस्ती की और वीआइपी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गए फिर साल 2022 में बीजेपी में शामिल हो गए।
डॉ सुनील कुमार सिंह : डॉ सुनील कुमार सिंह पेशे से डॉक्टर रह चुके हैं और कई भोजपुरी फिल्मों का भी निर्माण किया है। बिहार शरीफ से विधायक है और मूल रूप से नालंदा के रहने वाले हैं। वह कोईरी जाति से आते हैं और साल 1995 से ही राजनीति कर रहे हैं। पॉलिटिक्स में आने से पहले यह एमबीबीएस डॉक्टर थे और मरीज का इलाज किया करते थे। उन्होंने जदयू के टिकट पर साल 2005, 2010 में चुनाव लड़ा फिर 2013 में भाजपा में आ गए। साल 2015 और 2020 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बने।
मोतीलाल प्रसाद : मोतीलाल प्रसाद मात्र इंटर पास है, दूसरी बार विधायक बने हैं, मूल रूप से सीतामढ़ी के दीघा विधानसभा से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। तेली समाज से आते हैं। पहली बार 2010 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे लेकिन 2015 में हार गए और फिर 2020 में जीते हैं। साल 1990 में उन्होंने बैरिगनिया के डीएम कॉलेज से इंटर की परीक्षा पास की है और इसके बाद इन्होंने पढ़ाई छोड़ दी।
कृष्ण कुमार मंटू : कृष्ण कुमार मंटू कभी पंचायत की राजनीति किया करते थे। पंचायती राज में मुखिया हुआ करते थे लेकिन बाद के दिनों में इन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा और अब मंत्री हैं। अमनौर विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं। साल 2010 में पहली बार जदयू के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने। 2015 में जदयू ने इन पर विश्वास किया लेकिन यह चुनाव हार गए। इसके बाद इनका मन परिवर्तन हुआ 2020 में बीजेपी में शामिल होकर चुनाव लड़े और जीत गए। उनकी पत्नी भी राजनीति में है और लगातार चार बार प्रमुख रह चुकी हैं।
विजय कुमार मंडल : केवट जाति से आने वाले विजय कुमार मंडल काफी पुराने नेता है और पांच बार विधायक रह चुके हैं। आनंद मोहन की पार्टी बीपीपा से पहली बार 1995 में चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंचे। इसके बाद इन्हें लालू प्रसाद के कहने पर आरजेडी शामिल हो गए। 2000 के चुनाव में इन्हें टिकट नहीं दिया गया तो इन्होंने निर्दलीय चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया और जीत गए। चुनाव में जीतने के बाद राजद ने इन्हें फिर अपनी पार्टी में शामिल किया और मंत्री बनाया। 2005 के चुनाव में यह हार गए लेकिन 2009 के उप चुनाव में जीत दर्ज की थी 2010 में फिर हार गए।