PK पर मुकदमा कराना कहीं CM नीतीश की सोची समझी साजिश तो नहीं

Patna: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) इन दिनों मुश्किलों से घिरे हुए हैं. कंटेंट चोरी व जाल’साजी के एक मुक’दमे में उनपर गि’रफ्तारी की तल’वार लटक रही है. पटना के जिला व सत्र न्‍यायधीश रुद्र प्रकाश मिश्रा (Rudra Prakash Mishra) ने उन्‍हें अग्रिम ज’मानत देने से इनकार करते हुए उनकी गि’रफ्तारी पर भी रोक नहीं लगाई है.

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्‍या है यह मामला और कौन है वह शख्‍स, जिसके कारण प्रशांत किशोर मुश्किल में पड़े हैं? बताते चलें कि प्रशांत किशोर पर कंटेंट चोरी व जालसाजी का मुकदमा कांग्रेस नेता शाश्‍वत गौतम ने किया है. अमेरिका में उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त व वहां बड़े ओहदे पर रह चुके शाश्‍वत बिहार के पूर्वी चंपारण जिला स्थित चइता गांव के निवासी हैं. शाश्‍वत के पिता डॉ. रामजी सिंह चिकित्‍सक तो दादा गजाधर सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे. पिता मूलत: कांग्रेसी थे, जिन्‍होंने 1990 में चुनाव भी लड़ा था. अब शाश्‍वत भी कांग्रेस में हैं.

बिहार के पूर्वी चंपारण निवासी शाश्‍वत कभी मुख्‍यमंत्री (CM) नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के लिए काम कर चुके हैं, लेकिन महागठबंधन की सरकार गिरने के बाद कांग्रेस में चले गए. गत लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस में उन्‍हें तत्‍कालीन अध्‍यक्ष राहुल गांधी की इमेज बिल्डिंग की महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी दी गई थी. कांग्रेस में शाश्‍वत को प्रचार एवं संगठन के काम की जिम्‍मेदारी दी गई थी. वे अभी भी कांग्रेस में हैं, लेकिन उनकी सक्रियता पहले से कम हुई है.

शाश्‍वत ने इंजीनियरिंग व व्‍यवसाय प्रबंधन में डिग्री ली है. अमेरिका की जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी ने साल 2011 में शाश्वत गौतम का चयन ‘ग्लोबल लीडर्स फेलो’ के रूप में किया, जिसके बाद उन्होंने वहां से व्‍यवसाय प्रबंधन में मास्‍टर्स डिग्री ली. इस दौरान वे सामाजिक उद्यमियों को प्रोत्साहित करने वाली संस्था ‘अशोका इनोवेटर्स फॉर द पब्लिक’ से जुड़े. साल 2012 में जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में जीतने वाले वे एकमात्र विदेशी छात्र थे. यूनिवर्सिटी ने उन्‍हें सर्वश्रेष्ठ छात्र नेता (Best Student Leader) भी चुना.

पढ़ाई पूरी करने के बाद शाश्‍वत अमेरिका के मेरीलैंड राज्य सरकार में जलापूर्ति व स्वच्‍छता आयोग में अधिकारी बने. लेकिन बाद में वे भारत लौट आए.

शाश्वत गौतम के अनुसार वे बिहार में ‘बिहार की बात’ (Bihar Ke Baat) नाम से एक प्रोजेक्ट लॉन्च करने वाले थे, लेकिन इसके पहले ही उनके एक कर्मचारी ओसामा ने उनकी टीम से नाता तोड़कर उनका कंटेंट प्रशांत किशोर को दे दिया. इसके बाद ही प्रशांत किशोर ने युवाओं को राजनीति से जोड़ने के लिए उनके ‘बिहार की बात’ से मिलते-जुलते नाम से ‘बात बिहार की’ (Baat Bihar Ke) नाम से एक कैंपेन शुरू किया है. इसे लेकर शाश्‍वत ने पटना के पाटलिपुत्र थाने में प्रशांत किशोर के खिलाफ कंटेंट चोरी व जालसाजी की एफआइआर द’र्ज करायी है.

शाश्‍वत के आरो’पों की जांच पटना पुलिस (Patna Police) कर रही है. इस बीच प्रशांत किशोर अग्रिम जमानत व गिर’फ्तारी पर रोक को लेकर कोर्ट गए हैं. लेकिन मंगलवार को जिला व सत्र न्‍यायाधीश ने थाना से मुकदमे की केस डायरी मांगते हुए अगली सुनवाई के लिए मुकदमे को अपर जिला व सत्र न्‍यायाधीश 12 (ADJ -12) के पास भेज दिया. वहां सात मार्च को इसपर सुनवाई होगी. न्‍यायाधीश ने इसके पहले प्रशांत किशोर को अग्रिम जमानत देने या गि’रफ्तारी पर रोक लगाने से इन्‍कार कर दिया.

इस बीच प्रशांत किशोर ने खुद पर लगाए गए आ’रोपों को निराधार करार दिया है. उन्‍होंने शाश्वत गौतम पर मुकदमे के माध्‍यम से सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का आ’रोप लगाया है. इस विवाद पर शाश्‍वत गौतम ने कहा कि प्रशांत किशोर उन्‍हें साल 2015 से ही जानते हैं. वे अपनी गलती मान लें. उन्‍होंने कहा कि सस्ती लोकप्रियता के लिए आरो’प लगाने की बात वे बर्दाश्त नहीं कर सकते.

प्रशांत किशोर देश के जाने-माने चुनावी रणनीतिकार हैं. उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के बाद बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के लिए काम किया. बाद में नीतीश कुमार ने उन्‍हें अपनी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) का राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष बना दिया. इस बीच वे अपनी कंपनी के माध्‍यम से विभिन्‍न राजनीतिक दलों के लिए काम करते रहे.

हाल में उन्‍होंने दिल्‍ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की चुनावी रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. इस बीच नागरिकता संशोधन कानून (CAA), राष्‍ट्रीय नागरिक रजिस्‍टर (NRC), राष्‍ट्रीय जनसंख्‍या रजिस्‍टर (NPR) को लेकर उन्‍होंने पार्टीलाइन से हटकर बयानबाजी की. इससे उपजे घटनाक्रम के नतीजा में उन्‍हें जेडीयू से बाहर कर दिया गया.

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