मेरी गलती नहीं है कि मैं ‘गे’ हूं: लोग मुझसे नफरत करते हैं,मुझे हिजड़ा,छक्का और बैलया कहते हैं

PATNA: अविंशु पटेल को प्यार से लोग अवी कहते थे। वह मुंबई का रहने वाला था। पिछले महीने ही चेन्नै के एक स्पा में काम करने आया था। मौ’त को गले लगाने से पहले उसने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा- जिसने भी पढ़ा स्तब्ध रह गया। उसने अपनी मौ’त की वजह भी बताई। ये पोस्ट उसने हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषा में लिखा था। उसने लिखा कि वह गे है, इसलिए उसे परेशान किया जा रहा है।

लोग मेरे शारीरिक हाव-भाव से नफरत करते हैं। मैं अपनी फीलिंग्स को कंट्रोल करने की कोशिश करता हूं, लेकिन स्वाभाविक रूप से वह मेरे शरीर की गतिविधियों में दिखाई देती हैं। लोग मुझसे नफरत करते हैं, वे मेरे पीठ पीछे मेरा मजाक उड़ाते हैं…वे मुझे हिजड़ा, छक्का और बैलया कहते हैं…मुझे बहुत अफसोस है कि मेरा शरीर एक लड़के का था, लेकिन मेरा व्यवहार एक लड़की की तरह था।

अवि ने पोस्ट में लिखा कि- ‘मैं मरकर भगवान से पूछने जा रहा हूं कि उन्होंने मुझे ऐसा क्यों बनाया। मैं उनसे कहूंगा कि भारत में समलैंगिक लोगों को पैदा न करें क्योंकि भारत में लोग समलैंगिक लोगों से नफरत करते हैं। वे परिवार को दोष देते हैं और उन्हें सभी प्रकार के नामों से बुलाते हैं।’ समलैंगिक होने के कारण मैं अपनी जान दे रहा हूं। बता दें कि लगभग एक साल पहले अवि ने नंदुरबार में विशेषज्ञ रेखा चौधरी के प्रशिक्षण कार्यक्रम में सलून की ट्रेनिंग ली थी। तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद वह कुछ महीनों के लिए मुंबई आ गया और फिर चेन्नै चला गया। फेसबुक में लिखी गई पोस्ट में उसने रेखा चौधरी का जिक्र करते हुए कहा कि वह उसे एक संरक्षक के तौर पर समझाती थीं। रेखा ने बताया कि उन्हें लगता है कि चेन्नै में अवि बहुत खुश था। उसके सहयोगी उनके दोस्त बन गए थे और वह उनके काम से प्यार करते थे। अपने पार्टनर का जिक्र करते हुए उसने पोस्ट में लिखा, ‘मुझे लगता है कि वह शक करती थी कि अवि उसे धोखा देगी।

अवि महज 20 साल का था। अवि की आ’त्महत्या और उसके खु’दकुशी नोट ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। उसका शव पिछले हफ्ते तमिलनाडु की राजधानी चेन्नै के नीलंकरई बीच पर मिला। अवि अपने घर का इकलौता कमाने वाला था। वह नंदुरबार जिले के शाहदा में रहता था। उनके पिता रवींद्र सब्जी बेचने का काम करते थे। लेकिन दिल की बीमारी से पीड़ित होने के कारण वह काम नहीं कर पाते थे। अवि के बचपन का नाम अमोल था। आ’त्महत्या करने से पहले दो जुलाई की शाम 5 बजे के आसपास उसने अपने रूममेट सहित कुछ अन्य लोगों से इस बात का जिक्र किया था कि वह म’रने जा रहा है। अवि के चाचा दीपक ने बताया कि लगभग पांच महीने पहले अवि की मां ने उसके ऊपर शादी करने का दबाव बनाया था तब वह उसने पास आया था। घर में तनाव था, लेकिन बाद में उसे चेन्नै काम करने के लिए भेज दिया गया था। लेकिन क्या पता था कि समलैंगिकता उसकी जिंदगी छीन लेगी।

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