बिहार NRC के खिलाफ विधानसभा से प्रस्ताव पारित कराने वाला NDA शासित पहला राज्य बन गया है

हिंसा की जद में दिल्ली और ‘जद’ नामधारी दो दलों की भूमिका, बिहार एनआरसी के खिलाफ विधानसभा से प्रस्ताव पारित कराने वाला एनडीए शासित पहला राज्य बन गया है। बिहार में एनपीआर भी 2010 के फॉर्मेट पर होगा।

बिहार के सीएम नीतीश कुमार के इस फैसले को एक और ‘राजनीतिक पलटी’ के रुप में देखा जा रहा है जिसके लिए वह ‘मशहूर’ भी हैं। लेकिन जिस विभेदकारी कानून सीएए के कारण अभी दिल्ली जलाई जा रही है और पूरे देश में चिंता और अविश्वास का माहौल है उसकी जिम्मेदारी से नीतीश नहीं बच सकते।

दरअसल सीएए का पारित हो जाना भी नीतीश कुमार की एक और ‘पलटी’ का ही नमूना माना जाता है क्योंकि पहले वह इसके विरोध में थे।

पुराने जद (जनता दल) की पेड़ से टूट कर निकले दो ‘जद’ नामधारी दलों, जदयू और बीजद, ने अगर सीएए का समर्थन करने से पहले इसके पीछे के विभाजनकारी मंसूबे को समझ कर भी अनसुना न किया होता, संविधान और ‘आईडिया ऑफ इंडिया’ को याद किया होता तो देश को आज इस गंभीर स्थिति से नहीं गुज़रना पड़ता।

समय तो इन दोनों ‘जद’ का इतिहास लिखेगा, इनकी भी जिम्मेदारी तय करेगा, मगर साथ ही देश भर में सीएए के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों में नीतीश और नवीन को भी निशाने पर लेते हुए इनसे पूछना चाहिए कि ‘समाजवादियों’, ये आपने क्या किया?

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *