बिहार सरकार का निर्णय- जमीन के पुराने दस्तावेजों को किया जाएगा डिजिटल
राज्य में जमीन से जुड़े सभी तरह के दस्तावेजों को सुरक्षित किया जाएगा। इनमें सभी पुराने लैंड रिकॉर्ड, जीर्ण-शीर्ण कागजात, राजस्व दस्तावेजों को डिजिटल फार्म में सुरक्षित किया जाएगा। इससे सभी तरह की सरकारी संपत्तियों की पहचान करने और उसे अवैध कब्जा से बचाना आसान हो जाएगा। साथ ही सरकारी रिकॉर्ड के गुम या चोरी होने की वारदातों में भी कमी आएगी। .
सभी दस्तावेजों के प्रबंधन की नई तकनीक विकसित होगी। डिजिटाइजेशन से पुराने भूमि विवादों को सुलझाने में मदद मिलेगी। दस्तावेजों के डिजिटलीकरण के लिए एक ‘सर्विस प्रोवाइडर एजेंसी’ का चयन किया जाएगा। यह एजेंसी पहले तमाम कागजातों को स्कैन कर उनका फोटो कॉपी तैयार करेगी। उसके बाद उनको डिजलीकृत करेगी। डिजिटाइजेशन के बाद उन्हें ऑनलाइन भी उपलब्ध करा दिया जाएगा।
सरकार के इस बड़े और महत्वाकांक्षी कार्य के लिए एजेंसी के चयन के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 16 सितंबर तक टेंडर जमा करना है। डिजिटाइजेशन के कार्य में करोड़ों रुपये खर्च होंगे और सारा पैसा केन्द्र सरकार देगी। दरअसल, सरकार का लंबे समय से प्रयास इस कार्य को करा लेने का है। कुछ माह पहले भी इस काम के लिए निविदा निकाली गई थी पर काम की व्यापकता को देख किसी एजेंसी ने रुचि नहीं दिखायी। अब दोबारा टेंडर निकाला गया है। राजस्व विभाग के अधीन भू अभिलेख व परिमाप निदेशालय की देखरेख में काम होगा।