मुलायम सिंह यादव अब तक नहीं भूले हैं वो 11 दिन, न कोई मिलने आता न फोन पर लेता था हालचाल

यह अक्टूबर 1990 का आखिरी सप्ताह था। यूं तो गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी थी लेकिन अयोध्या का माहौल गरमाया हुआ था और इसकी तपिश लखनऊ और दिल्ली तक महसूस की जा रही थी। हजारों की तादाद में कारसेवक इकट्ठा हो गए थे। पुलिस प्रशासन उन्हें रोकने के लिए जद्दोजहद कर रही थी। इसी बीच 30 अक्टूबर को हजारों कारसेवक बैरिकेड और पुलिस का सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए विवादित ढांचे तक पहुंच गए और गुंबद पर भगवा झंडा फहरा दिया।

उस समय मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। उन पर चौतरफा दबाव था। इसी बीच देश के तमाम हिस्सों से और कारसेवक अयोध्या पहुंचने लगे। स्थिति को संभालने के लिए राज्य सरकार ने फायरिंग का आदेश दे दिया। तारीख थी 2 नवंबर 1990।

सब पड़ गए मुलायम के पीछे: उत्तर प्रदेश पुलिस की गोलीबारी में कई कारसेवक मारे गए। इसके बाद स्थिति और बिगड़ गई। देशभर में जगह-जगह उत्तर प्रदेश सरकार और खासकर मुलायम सिंह यादव के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे। खासकर बीजेपी और दूसरे दक्षिणपंथी रुझान वाले संगठन मुलायम के पीछे पड़ गए।

कोई हालचाल तक लेने नहीं आता था: 2 नवंबर के बाद अगले 11 दिन मुलायम के लिए बेहद मुश्किल भरे रहे थे। उन दिनों को समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह अब तक नहीं भूले हैं। अखिलेश यादव की जीवनी “विंड्स आफ चेंज” में वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका सुनीता एरोन लिखती हैं कि मुलायम के घर मिलने वालों का तांता लगा रहता था, लेकिन इस घटना के बाद उनके घर के बाहर लगने वाली कतारें खत्म हो गईं। जो लोग मुलायम से अक्सर मिलने आते थे और उनके करीबी थे, उन्होंने भी आना जाना और हाल चाल लेना बंद कर दिया। यही नहीं फोन की घंटी भी बजनी बंद हो गई थी।

उन दिनों को याद करते हुए मुलायम ने कहा था, ’11 दिन के दौरान मेरी तबीयत बिगड़ गई। मैं बिल्कुल अकेला पड़ गया था और आइसोलेट हो गया था। यह सब कुछ मेरी जान पर भारी था…।’अखिलेश भी थे पिता से दूर: आपको बता दें कि जब यह घटना हुई तब अखिलेश यादव मैसूर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे और कभी कभार ही लखनऊ आते थे। उन्हें अखबार के जरिए इस घटना की जानकारी मिली थी। बता दें कि कारसेवकों पर गोलीबारी की घटना के बाद मुलायम सिंह यादव ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 221 सीटें जीती थीं और कल्याण सिंह राज्य के मुख्यमंत्री बने थे।

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