2 से 3 रुपये किलो बिक रहा प्याज, दाम सस्ता होने से किसान बेहाल, कुछ फार्मर ने मुफ्त में बांट दिया

कर्ज लिया प्याज उगाया, फसल कटी तो भाव गिर गया, सस्ते में बेचने की बजाए किसान ने मुफ्त में माल लुटा दिया : जब फसल उगाई तो उसे उगाने के लिए कर्ज लेना पड़ा. जब फसल की हुई कटाई तो बाजार में इसका भाव गिर गया था. किसान कर्ज से पूरी तरह लदा था. बुरी तरह कर्ज के सूद देने की चिंता में डूबा था. क्या करता? नुकसान उठा कर माल बेच आता, डूबते को तिनके का सहारा मिल जाता. लेकिन महाराष्ट्र के बुलढाणा (Buldhana in maharashtra) के इस किसान (Onion farmer) ने ऐसा नहीं किया. बात डिग्निटि ऑफ लेबर की थी. गिरे हुए भाव में अपने खून-पसीने से सींच कर उगाया हुआ प्याज वो बेचने के लिए तैयार नहीं था. वह अपना सारा माल लोगों को मुफ्त में बांट (Farmer distributed onions for free) आया. लोग उसके फेंके हुए प्याज पर टूट रहे थे, उन्हें लूट रहे थे और यह किसान उपज का भाव ना मिलने की वजह से लुट रहा था.

बाजार में मांग नहीं, घर में माल रखने की व्यवस्था नहीं. ऐसे में गणेश पिंपले नाम के किसान कोअपना प्याज मुफ्त में बांच देने के सिवा कोई और चारा नहीं दिखा. माल खरीदना तो दूर, बाजार में कोई प्याज लेने तक को तैयार नहीं हुआ तो यह किसान प्याज लेकर घर लौटा. लेकिन फिर उसे लगा कि प्याज तो घर में पड़े-पड़े सड़ जाएगा. इसके बाद उसने अपने प्याज मुफ्त में ले जाने के लिए लोगों को बुलाया. मुफ्त में प्याज मिलने की बात सुनते ही लोग प्याज पर टूट पड़े. कुछ ही मिनटों में किसान का सारा प्याज खाली हो गया.

थोक बाजार में प्याज इस वक्त दो से तीन रुपए किलो की दर में बिक रहा है. क्विंटल का हिसाब किलो में लगाएं तो व्यापारी थोक में इसी भाव में किसानों से प्याज खरीद रहे हैं. ऐसे में बुलढाणा के शेगाव के गणेश पिंपले ने प्याज मुफ्त में बांट देना ही सही समझा है. कौड़ियों के मोल बेचने को किसान राजी नहीं हैं और अगर राजी हो भी तो व्यापारी इस दाम में भी खरीदने में एहसान जताते हैं, ऐसे में पिंपले जैसे किसान मुफ्त में प्याज बांट आने का आखिरी कदम उठाते हैं.

दो एकड़ की खेती में प्याज उगाने पर दो लाख का खर्च आता है. किसान ने कर्ज लेकर किसी तरह प्याज उगाया था. लेकिन फसल कटते ही ऐन वक्त पर प्याज का भाव गिर गया. प्याज की ढुलाई का खर्चा भी निकल नहीं पा रहा था. ऐसे में शेगाव शहर के मालीपुरा इलाके के किसान ने प्याज मुफ्त में बांटने का एक तरह से आंदोलन किया, लेकिन लोगों ने इसे आंदोलन नहीं समझा, माल मुफ्त का समझा लूट का. जिसकी जितनी बड़ी झोली, वो उतना प्याज लूट गया. लेकिन यह किसान अंदर ही अंदर टूट गया.

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