बिहार में ऑनलाइन होगा जमीन का दाखिल-खारिज, सरकार ने अधिकारियों को दिया नया आदेश
बिहार सरकार ने राजस्व अपर समाहर्ताओं को सौंपी नई जिम्मेदारी, ऑनलाइन म्यूटेशन में हो रहे विलंब के संबंध में मांगी गई रिपोर्ट, आईटी सेल को देनी हैं सारी जानकारी
राज्य में म्यूटेशन को सुगम बनाने की कवायद शुरू हो गई है। इसकी ऑनलाइन प्रक्रिया को सरल बनाया जा रहा है। म्यूटेशन में आ रही शिकायतों और बाधाओं की पहचान का काम तेज कर दिया गया है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक लंबे अरसे से ऑनलाइन दाखिल-खारिज में आ रही कठिनाइयों के मद्देनजर बाधाओं की पहचान का काम शुरू किया गया है। विलंब के कारणों की तलाश की जा रही है। इसके लिए सभी स्तर के संबंधित अफसरों को लगाया गया है। दरअसल, मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद राजस्व विभाग ने इसके लिए जिलों में उप समाहर्ता, राजस्व अपर समाहर्ता और डीसीएलआर से भी फीड बैक मांगा है। इन अफसरों की रिपोर्ट के आधार पर ऑनलाइन व्यवस्था को सुधारा जाएगा।
रैयतों की शिकायतों के बाद सरकार ने जिलों में तैनात सभी एडीएम को मुकम्मल फीड बैक देने की जिम्मेदारी सौंपी है। कुछ जिलों से फीड बैक आ भी चुके हैं। फीड बैक के आधार पर ऑनलाइन व्यवस्था को दुरुस्त किया जाएगा। इसके लिए तैयार नए सॉफ्टवेयर ‘परिमार्जन’ को भी लांच किया जाएगा। साफ्टवेयर में निर्धारित समय पर आपत्तियों को दूर करने की व्यवस्था की जाएगी। मुख्यमंत्री ने स्वयं नए सॉफ्टवेयर को फुलप्रूफ बनाने की हिदायत दी है, ताकि किसानों, रैयतों को भविष्य में परेशान नहीं होना पड़े। सब कुछ ठीक रहा तो चालू माह में ही नया सॉफ्टवेयर लांच कर दिया जाएगा।
अब सभी अंचल अधिकारियों को अपने गैर निष्पादित मामलों की जानकारी विभाग के आईटी सेल को देनी है। शुक्रवार को सारण और मगध प्रमंडल, 16 मार्च को तिरहुत और दरभंगा, 17 मार्च को पूर्णिया और कोसी एवं 18 मार्च को भागलपुर एवं मुंगेर प्रमंडल के अधिकारियों को प्रशिक्षण मिलेगा। आईटी सेल समाधान के लिए एनआईसी के साथ मिलकर काम करेगा। गौरतलब है कि ऑनलाइन म्यूटेशन दिसंबर, 2017 में शुरू किया गया था।
राजस्व विभाग ने म्यूटेशन में आ रही बाधाओं, आपत्तियों के निपटारे के लिए सीओ व आईटी सहायकों का प्रशिक्षण शुरू किया है। पहले दिन 12 मार्च को पटना प्रमंडल के सभी जिलों के अंचल अधिकारियों और उनके आईटी असिस्टेंट को ट्रेनिंग दी गई। उन्हें 30 जून, 2019 के पहले के लंबित म्यूटेशन के निपटारे की जानकारी दी गई। म्यूटेशन के निस्तारण के बावजूद उनको लंबित दिखाना, कई मामलों का कर्मचारी/सीओ के लॉगिन में नहीं दिखना, गांव और पंचायत का टैगिंग गलत होना, जैसे मामलों के बारे में जानकारी दी गई।