बिहार के CM के नाम शंभू शिखर का खुला पत्र, कहा- नीतीशजी आप बदल गए हैं, आप सुशासन बाबू नहीं रहे

माननीय नीतीश जी, बहुत व्यथित मन से आपको यह पत्र लिख रहा हूं। बिहारवासी होने के नाते आपके प्रति मेरे मन में श्रद्धा रही है। आप समाजवादी पृष्ठभूमि के साफ सुथरे नेता रहे हैं। आपने बिहार को जंगलराज से मुक्ति दिलाई है। लेकिन आजकल आपमें बहुत नकारात्मक किस्म का परिवर्तन आ गया है। आप वह नीतीश कुमार नहीं रहे हैं जो कभी हुआ करते थे। अभी लॉकडाउन में आपका जो रूप दिखा है वह कहीं से मानवीय नहीं हैं। आपने बिहार के प्रवासी मजदूरों ओर कोटा में पढ़ रहे बिहारी छात्रों के साथ जो व्यवहार किया है वह क्षम्य नहीं है।

आपने संकटकाल में उनका साथ छोड़ा है जो आपकी कमजोरियों के कारण घर से बाहर जाने को विवश रहे हैं। बिहार के लोग से कभी आपके इस अमानवीय व्यवहार को भूल नहीं सकेंगे। आपने अपने भाजपा विधायक अनील सिंह की बेटी को कोटा से वापस लाने के लिए विशेष अनुनति दी लेकिन आम छात्रों को वापस लाने में आपको लॉकडाउन के खलल पड़ता दिखा। प्रवासी मजदूरों को भी घर वापस लाने के लिए आपने कोई यत्न नहीं किया। आपसे अच्छे तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निकले जिन्होंने दोनों ही मौकों पर संवेदनशीलता दिखाई। बसें भेजकर अपने राज्य के लोगों को घर पहुंचाया।

सुना है कि आप विज्ञान के छात्र रहे हैं। इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। आपने वापस लाने का कोई यत्न नहीं किया तो बिहारी मजदूर दिल्ली, मुंबई, सूरत, कोलकाता, चेन्नई जैसे महानगरों से पैदल घर के लिए चल पड़े। 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान दो सप्ताह तक सभी हाइवे पर बिहारी मजदूरों का रेला लगा रहा। एक विज्ञान का छात्र होने के नाते क्या आप बताएंगे कि दो दिनों में अगर उन्हें बसों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए वापस लाया जाता तो लॉकडाउन का हनन होता या 15 दिनों तक सड़कों पर उनके पैदल चलने से हनन हुआ?

यही सवाल कोटा से छात्रों की घर वापसी को लेकर पूछना चाहूंगा। बात कड़वी लग सकती है लेकिन सच्चाई यही है कि आप अपनी जिम्मेवारियों से भागने का रास्ता तलाश रहे थे। आपको सत्ताधारी दल के विधायकों के बच्चों की चिंता है, आम छात्रों की नहीं। आपको वीआईपी लोगों की चिंता हैं गरीब मजदूरों की नहीं। कैसे समाजवादी हैं आप नीतीश जी! यह कहीं से भी समाजवादी आचरण नहीं है।

अब आप कहते हैं कि बिहारी मजदूर वापस नहीं लौटेंगे। यह कहने का अधिकार आपको किसने दिया है? जिन मजदूरों को आपने उनके हाल पर छोड़ दिया क्या वे आपसे अनुमति लेकर बिहार में रहेंगे या महानगरों में काम करने वापस लौटेंगे? आप यह निर्णय करने का अधिकार खो चुके हैं। कभी आपने सोचा कि मजदूरों को रोजी रोटी कमाने के लिए घर छोड़कर हजारों किलोमीटर दूर क्यों जाना पड़ता है…। इसलिए कि आप उन्हें उनके घर के पास रोजगार मुहैय्या नहीं करा पाते। माना कि यह सिलसिला दशकों पुराना है लेकिन आप 15 वर्षों से बिहार के मुख्यमंत्री हैं। आपने उनके पलायन को रोकने के लिए क्या किया?

गावों की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए या शहरों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए आपने कुछ भी नहीं किया है। जिस लालू प्रसाद की आप आलोचना करते हैं आप भी उन्हीं की तरह जातीय समीकरण के आधार पर अपना वोट बैंक मजबूत करते रहे। इसके अलावा कुछ किया हो तो बतलाइए। आपने बिहार में मेडिकल-इंजीयरिंग की तैयारी की स्तरीय व्यवस्था की होती तो बिहार के छात्र तैयारी करने के लिए कोटा क्यों जाते? कभी सोचा आपने?

बिहार के लड़के यूपीएससी में अव्वल आते हैं लेकिन इसकी तैयारी के लिए उन्हें दिल्ली आना पड़ता है। किसी को गंभीर बीमारी होती है तो उसे दिल्ली के एम्स में या अपोलो, मैक्स जैसे अस्पतालों में जाना पड़ता है। आपने बिहार में कोई ऐसा अस्पताल खोला जहां गरीब और गंभीर मरीजों का इलाज हो सके? जोड़-तोड़ करके मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे रहने का जोगाड़ कर लेने से कोई इतिहास पुरुष नहीं बन जाता।

मेरी सलाह है कि आप एक बार अपने 15 वर्षों के कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों की स्वयं तटस्थ भाव से समीक्षा करें और सोचें कि बिहार की जनता ने जिन अरमानों के साथ आपको सत्ता सौंपी क्या आप उनकी आकांक्षाओं की कसौटी पर खरे उतर सके हैं? चुनाव जीत लेना बड़ी बात नहीं होती है। सत्ता में आने के बाद किए गए कार्य महत्वपूर्ण होते हैं। आपको लोग सुशासन बाबू और विकास पुरुष कहते हैं। यह आपके किचेन कैबिनेट के लोगों की दी हुई उपाधियां हैं। आप स्वयं विचार करें कि क्या आप वह काम कर सके हैं जो कर सकते थे। राजनीतिक जोड़तोड़ में आपका कोई जवाब नहीं है। आपकी अगली चाल का कोई अंदाजा नहीं लगा सकता। लेकिन बिहार को 15 वर्षों में आपने दिया क्या? यह भी तो सोचिए।

इस सवाल का जवाब अपने आपसे पूछिए और जवाब मिल जाए तो हमें भी बताने की कृपा कीजिए। हम आपके आभारी रहेंगे।शेष…फिर कभी-शंभू शिखर मधुबनी निवासी प्रवासी कवि

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *