कभी नहीं पता चलेगा कि कोरोना काल में कितने लोग भूख से मरे, क्योंकि सरकारें इसे कभी स्वीकारेंगी नहीं : पी चिदंबरम

चीन के वुहान शहर से निकले कोरोना वायरस के कारण पूरे देश भर में पैदा हुई भयावह स्थिति को रेखांकित करते हुए पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने एक स्तंभ लिखा है।

‘The Indian Express’ में प्रकाशित शीर्षक से लेख में उन्होंने कहा है कि जिस देश में कुपोषण फैला (खासकर बच्चों में) है, वहां भुखमरी के फैलाव का खतरा भी है। भूख और कुपोषण के कारण भुखमरी होगी।

टीवी, प्रिंट और सोशल मीडिया पर इस बात के साफ सबूत हैं कि इस संकट काल में कई परिवार भूख से हैरान-परेशान हैं। हमें कभी पता भी नहीं चलेगा कि भुखमरी हुई, क्योंकि कोई भी राज्य सरकार इससे होने वाली मौतों को मानेगी ही नहीं।

बकौल चिदंबरम, “कोरोना की जंग केंद्र व राज्य सरकार लड़ रही हैं, जबकि आम लोग फॉलोअर्स हैं। इसके नाते हम कई चीजें सोच सकते हैं। वह यह कि इस वायरस को वैक्सीन के बगैर हराया जा सकता है और लॉकडाउन ही इसका हल है। पर असलियत है कि लॉकडाउन इसका इलाज नहीं है। न ही इसके फैलाव को रोकने का। लॉकडाउन सिर्फ पॉज (ठहराव) है।”

प्रवासी मजदूरों का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा- कल्पना करिए कि महानगरों, शहरों से घरों को लौटे मजदूर शेल्टर होम, क्वारंटीन/शिविरों में खुश हैं और वहां के खाने व बंदोबस्त से संतुष्ट हैं। सच्चाई यह है कि दिल्ली पुलिस ने जांच में वहां पाया है कि पंखे काम नहीं करते। पावर बैकअप नहीं है। टॉयलेट्स की सफाई नहीं होती है। सिविल डिफेंस के लोगों का रवैया भी खराब है और खाना भी खराब दिया जाता है। अगर ये हाल शेल्टर होम्स का है, तब क्वारंटीन और संबंधित कैंप्स के बारे में सोचिए ही मत।

नौकरियों के संकट पर पूर्व वित्त मंत्री ने लिखा- सीएमआईई की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में बेरोजगारी दर 21.1 फीसदी है। सच ये है कि एक बार अगर एमएसएमई ठप हो गया, तब दोबारा उसे शुरू करना इतना आसान नहीं है। कल्पना करिए कि बड़े उद्योग भी किसी तरह बच जाएंगे और पहले की तरह उठ खड़े होंगे, पर असल में वे समझ चुके हैं कि पुराने दिनों जैसा हाल लौटना मुश्किल है, इसलिए वे नए सामान्य दिनों की तलाश में जुट गए हैं।

लेख में सातवें बिंदु में चिदंबरम ने कहा- कल्पना करें कि अर्थव्यवस्था लॉकडाउन के बाद वापस पटरी पर आ जाएगी और हमें उसमें V-Curve (धीमे-धीमे उभार) देखने को मिलेगा, पर सच्चाई यह है कि देश की अर्थव्यवस्था नोटबंदी जैसी ऐतिहासिक गलती के बाद रिकवर ही नहीं कर पाई। ऊपर से जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) आ गया। लॉकडाउन हटने के बाद इकनॉमी इतनी आसानी से ट्रैक पर नहीं आएगी।

अंत में उन्होंने लुइस कैरल के उस कथन का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है- (सच्चाई के खिलाफ जंग में कल्पना ही एकमात्र हथियार है।)

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *