पान बेचने वाले का बेटा बना IIT इंजीनियर, मिलेगा लाखों का सैलरी पैकेज

सब्जी और पान की दुकान से उठा बिहारी गुरु आरके श्रीवास्तव ने बना दिया इंजीनियर, अब ये प्रतिभा अपनी गरीबी को पीछे छोड़ बन चुके है ऑफिसर —

गुरु ने पहली मुलाकात में बच्चे की मेधा परख ली। फिर उसे इस तरह तराशा कि एक ही कोशिश में वे सफल हुए देश की प्रतिष्टित इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं में। कभी सब्जी और पान की दुकान पर घुट रहे बचपन को संवरते देर न लगी। इस समय वे एक बड़े संस्थान से इंजीनियर बन आज बड़ी कंपनियों में कोई लाखो महीने कमा रहा तो कोई सरकारी अफसर बन अपने सपने को पंख लगा रहा।

इस कहानी के प्रणेता हैं, मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव और उसकी परिणति हैं इंजीनियर श्रीराम और सचिन कुमार। ये इस गुरु द्वारा तराशी गई अनुपम कृति हैं। वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर आरके श्रीवास्तव बताते हैं कि बात 2009 और 2011की है। इनमे एक नन्हा बच्चा वर्ग 8 में था तो दूसरा वर्ग 10 में।

उस समय मैं बिक्रमगंज रोहतास( बिहार) में अपने शैक्षणिक संस्थान क्लास में बच्चों को पढ़ा रहा था।

हमारी सोच थी कि समाज के बच्चों को पढ़ाई की दुनिया में आगे किया जाए। तभी सशंकित भाव में ये बच्चे मेरे पास आये थे। उनमे एक का नाम श्रीराम था तो एक का नाम सचिन,

आरके श्रीवास्तव उस वाकये को याद करते हुए आगे कहते हैं, वे स्टूडेंट्स में से एक बिहार के रोहतास जिले में ग्राम मोथा का रहने वाला था तो दूसरा बिक्रमगंज में किराए के मकान लेकर पढ़ने अपने पिता के साथ आया था। उनमे एक के पिताजी संजय गुप्ता बिक्रमगंज में सब्जी बेचते थे तो दूसरे के पिता राजकुमार साह पान बेचते थे। दोनो अपने पिता के काम में हाथ बटाते था। ये बच्चे अपने सपनो के साथ आगे पढऩा चाहता था। कहीं से सुनकर हमारे पास चले आये था।

श्रीराम और सचिन से जब मेरी बात हुई थी तो उसके अंदर पढ़ाई के प्रति विशेष ललक दिखी। तब मैंने गणित के कुछ सवाल इन स्टूडेंट्स से पूछा , अपने दिमाग से ये स्टूडेंट्स इतना बढिय़ा जवाब दिया कि मुझे उनको अपने गुरुकुल में इन्हें शिक्षा देने को लेकर निर्णय लेने में जरा भी देर न लगी।

बकौल आरके श्रीवास्तव बताते है कि इन्हें निःशुल्क शिक्षा के अलावा वह सारी शिक्षा संबंधी जरूरी बस्तुएं कॉपी किताबे भी संस्था के तरफ से उपलब्ध कराये जाने लगे। इन स्टूडेंट्स के परिवार वाले काफी खुश दिखे की हमारे बच्चे को बेहतर रास्ता मिल गया अब यह पढ़ लिख कर जरूर काबिल इंसान बन जाएंगे।

वर्ष 2009 से 2013 तक लगातार 4 वर्ष सब्जी विक्रेता का बेटा श्रीराम आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक आंगन में पढ़ा वही सचिन 2011 से 2014 तक। श्रीराम वर्ग 8 से 12 वी तक तो सचिन वर्ग 10 से 12 वी तक कि पढ़ाई आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक आंगन से पूरा किया। सचिन अपने प्रयास में वह वर्ष 2014 में आइआइटी की परीक्षा में ओबीसी रैंक से सफल हुए। वही श्रीराम बिहार संयुक्त प्रवेश इंजीनियरिंग परीक्षा में बेहतर रैंक के साथ वर्ष 2013 मे पहले ही प्रयास में सफल हो गया। श्रीराम का दाखिला भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में हुआ वही सचिन ने अपने निर्णय से सबको चौका दिया, आईआईटी में ओबोसी रैंक से चयनित होने के वावजूद मनचाहा ब्रांच नही मिलने के चलते उसने आईआईटी छोड़ एनआईटी भोपाल में दाखिला लिया। श्रीराम इलेक्ट्रॉनिक एंड कॉम्बिनीकेशन तो सचिन सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर आज देश के बड़े संस्थान में इंजीनियर है। आरके श्रीवास्तव इन स्टूडेंट्स से पहली मुलाकात और इनकी सफलता की कहानी हमेशा दूसरों को सुना प्रेरित करते हैं।

श्रीराम इस समय हैदराबाद में ईसीऑयल ( भारत इलेक्ट्रॉनिक्स निगम लिमिटेड )में सरकारी ऑफिसर बन चुका है और अपने सपने को पंख लगा रहा वही सचिन देश की प्रतिष्टित कंपनी में लाखों की सैलरी पर कार्यरत है । श्रीराम और सचिन कहते है कि उनकी जिंदगी में गुरु के रूप में आरके श्रीवास्तव का खास महत्व है। आज श्रीराम के पिता जब अपने बच्चे की सफलता का जिक्र सुनते है तो उनके आंखे खुशियो से नम हो जाते है वे कहते है कि आरके श्रीवास्तव सर जैसा फरिस्ता नही मिलता तो आज मेरा बेटा सरकारी ऑफिसर नही बन पाता। वही सचिन के पिता अब इस दुनिया को छोड़ चले गये, बीमारी के कारण वे इस दुनिया को छोड़ चले गए, बेटे को इंजीनियर प्रवेश परीक्षा में पास होते तो उन्होंने देखा परन्तु कॉलेज से इंजीनयर बन पास होने के बाद नौकरी लगने की खुशी वे नही देख पाये। लेकिन आज उनका बेटा इस काबिल जरूर बन गया है जो अपने छोटे भाईयो को पढ़ाना और परिवार को बेहतर तरीके से चला सके। माहौल ऐसा मिला कि आज वे एक ऐसे काम से जुड़े हैं, जो बड़े बिजनेस हाउस को निर्णय लेने में मदद कर रहा।

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