PAK अंतरिक्ष यात्री ने भारत को दी बधाई, कहा- ISRO की कोशिश दुनिया के लिए गर्व की बात

New Delhi : चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का चांद पर लैंडिंग से पहले संपर्क टूट गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का चंद्रयान-2 से संपर्क उस समय टूटा, जब वह चंद्रमा की सतह से महज दो किलोमीटर दूर था। हालांकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अपनी कक्षा में सुरक्षित स्थापित हो चुका है और यह अगले साढ़े 7 साल तक काम कर सकता है।

इस उपलब्धि के लिए सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में इसरो की तारीफ हो रही है। यहां तक कि पाकिस्तान की पहली एस्ट्रोनॉट नमीरा सलीम ने भी इसरो के इस ऐतिहासिक प्रयास के लिए बधाई दी है। नमीरा सलीम ने कहा, ‘मैं चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की चांद के साउथ पोल में सॉफ्ट लैंडिंग की ऐतिहासिक कोशिश के लिए इसरो और भारत को बधाई देती हूं।’

पाकिस्तानी एस्ट्रोनॉट नमीरा सलीम ने कहा, ‘चंद्रयान-2 मिशन दक्षिण एशिया के लिए अंतरिक्ष के क्षेत्र में लंबी छलांग है। यह सिर्फ दक्षिण एशिया के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी ग्लोबल स्पेस इंडस्ट्री के लिए गर्व का विषय है।’ नमीरा सलीम पाकिस्तान की पहली एस्ट्रोनॉट हैं, जो सर रिचर्ड ब्रैनसन वर्जिन गैलेक्टिक के साथ अंतरिक्ष जाएंगी। सर रिचर्ड ब्रैनसन वर्जिन गैलेक्टिक दुनिया की पहली कॉमर्शियल स्पेसलाइन है।

इस दौरान नमीरा सलीम ने यह भी कहा कि अंतरिक्ष में सभी राजनीतिक सीमाएं खत्म हो जाती हैं। नमीरा सलीम ने कहा, ‘दक्षिण एशिया में अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतनी बड़ी उपलब्धि अद्भुत है। यहां यह मायने नहीं रखता है कि इसमें कौन सा देश नेतृत्व कर रहा है। अंतरिक्ष में सभी राजनीतिक सीमाएं खत्म हो जाती हैं। जो हमको धरती में बांटता है, उसको पीछे करके अंतरिक्ष हमको एकजुट करता है।’

नमीरा सलीम स्पेस डिप्लोमेसी को लेकर बेहद मुखर रहती हैं। वो धरती में शांति के लिए अंतरिक्ष में नया मोर्चा बनाने की वकालत करती हैं। नमीरा सलीम पहली पाकिस्तानी और मोनाको से पहली महिला हैं, जिन्होंने नॉर्थ पोल और साउथ पोल पहुंचने का कीर्तिमान रचा है। वो अप्रैल 2007 में नॉर्थ पोल और जनवरी 2008 में साउथ पोल पहुंचीं।

वहीं, मिशन चंद्रयान-2 को लेकर इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 ने अपने मिशन का 95 फीसदी लक्ष्य हासिल कर लिया है। चंद्रयान-2 के साथ गया ऑर्बिटर अपनी कक्षा में स्थापित हो चुका है और ये अगले साढ़े 7 साल तक काम कर सकता है। पहले इसके एक साल तक ही काम करने की गुंजाइश थी।

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