पटना एम्स में भी प्लाज्मा थेरेपी, जो ठीक हो चुके, उनकी मदद से अब होगा कोरोना का इलाज

दिल्ली, केरल और मप्र में प्लाज्मा थेरेपी से शुरू हो चुका है इलाज, एक के डोनेशन से 5 का इलाज संभव

कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी कारगर हो रही है। पटना एम्स में इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। आईसीएमआर ने भी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। एक ठीक हुए मरीज के डोनेशन से 5 मरीजों का इलाज हो सकता है। देश में सबसे पहले केरल में प्लाज्मा थेरेपी के चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। इसके बाद दिल्ली और मप्र में प्लाज्मा थेरेपी से इलाज शुरू हो चुका है। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार का कहना है कि आईसीएमआर ने कह दिया है कि जिनलोगों ने इसके लिए अप्लाई किया है, उनको एप्रूवल दे दिया जाएगा। पटना एम्स ने भी अप्लाई िकया है। उसको भी अनुमति मिल जाएगी।

क्या है प्लाज्मा थेरेपी? ब्लड ग्रुप मैच करने पर ही यह थेरेपी संभव : इस थेरेपी में ब्लड ग्रुप का काफी महत्व है। मरीज जिस ग्रुप का है, उसे उसी ग्रुप का प्लाज्मा चाहिए। जैसे खून के मामले ब्लड ग्रुप ओ को यूनिवर्सल डोनर माना जाता है, उसी तरह प्लाज्मा में ग्रुप एबी ग्रुप को। – डॉ. नेहा सिंह, प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर, पटना एम्स

कैसे काम करती है? : प्लाज्मा थेरेपी में एंटीबॉडी यूज होता है। वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी तभी बनता है, जब इंसान उससे पीड़ित होता है। अभी कोरोना फैला है। मरीज के ठीक होने पर उसके शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बन जाता है।

कोरोना के मोटे तौर पर तीन स्टेज हैं। {पहले में वायरस शरीर में जाता है। {दूसरे में यह फेफड़ों तक पहुंचता है {तीसरे में शरीर इससे लड़ने (एंटीबॉडी ही वायरस से लड़ाई करता है) और इसे मारने की कोशिश करता है, जो सबसे खतरनाक स्टेज होता है। प्लाज्मा थेरेपी से इलाज के लिए सबसे सही वक्त दूसरा स्टेज होता है क्योंकि पहले में इसे देने का फायदा नहीं और तीसरे में यह कारगर नहीं रहेगा। प्लाज्मा थेरपी तीसरे स्टेज तक जाने से रोक सकती है।

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