पटना में कोरोना का इलाज करवाना है ​तो अपने साथ लेकर आएं आक्सिजन सिलेंडर, वरना नो इंट्री

पटना में बिहार सरकार के तीनों बड़े अस्पतालों के बेड फुल है। 14 और प्राइवेट अस्पतालों को कोविड के इलाज की अनुमति से भले ही इनकी संख्या 47 हो गई है, लेकिन ऑक्सीजन के भीषण संकट से त्राहिमाम मच गया है। भास्कर के पास 5 अस्पतालों में अब तक NO ENTRY का बोर्ड लग जाने की जानकारी है। ऑक्सीजन का स्टॉक शून्य या शून्य के करीब देख विषम परिस्थिति में तोड़फोड़ के डर से नए मरीजों की भर्ती रोक दी है। बाकी भी एक-दूसरे की तरफ देख रहे हैं, क्योंकि ऑक्सीजन संकट हर तरफ है। सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में सामान्य तौर पर हर दिन 5000 सिलेंडर की डिमांड है, लेकिन उस जरूरत के हिसाब से भी आपूर्ति मात्र 50 प्रतिशत हो रही है। उस पर कोरोना के कारण जरूरत भी बढ़ी हुई है।

कंकड़बाग स्थित जगदीश मेमोरियल अस्पताल के निदेशक डॉ. आलोक से दैनिक भास्कर ने पुष्टि करनी चाही तो उन्होंने कहा कि कोई उपाय ही नहीं है। भर्ती मरीजों की जान बचाने के लिए 40 में से 8 ही सिलेंडर हैं, इसलिए नए मरीज लेना बंद करना पड़ा। ऑक्सीजोन अस्पताल ने भी भर्ती बंद कर दी है। यहां कहा जा रहा है कि अगर ऑक्सीजन सिलेंडर भरकर लाएंगे तो भर्ती ले लेंगे, हमारे पास नहीं है। दानापुर में सगुना मोड़ के पास स्थित हाइटेक हॉस्पिटल के मैनेजर अभय पांडेय से पूछा तो उन्होंने भी कहा कि ऑक्सीजन संकट के कारण नए मरीजों की भर्ती बंद करनी पड़ी है।

18 बेड पर पाइपलाइन से ऑक्सीजन की व्यवस्था है और 24 घंटे में करीब 100 ऑक्सीजन गैस सिलेंडर की जरूरत है। इसके लिए जगदेव पथ की गंगोत्री गैस एजेंसी से करार है, लेकिन वह 80 की जगह महज 50 सिलेंडर की ही सप्लाई की जा रही है। दूसरे जगहों से जो बाकी इंतजाम करते थे, वह भी नहीं हो पा रही है। बाइपास स्थित पल्स इमरजेंसी अस्पताल भी कोविड मरीजों की भर्ती से मना कर रहा है। सगुना स्थित समय हॉस्पिटल में मरीज ऑक्सीजन के लिए हंगामा कर चुके हैं, इसलिए उसने भी भर्ती लेने से मना कर दिया है। अस्पताल के निदेशक डॉ अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि मरीज जबरन आकर ऑक्सीजन की पाइप लगा रहे हैं। अब इनके लिए भी कोई व्यवस्था नहीं बच रही है।

कुर्जी होली फैमिली के काउंटर और हेल्पलाइन नंबर पर अभी भर्ती नहीं लेने की सूचना दी जा रही है। काउंटर का कहना है कि अभी वार्ड ही नहीं बना है। बेली रोड स्थित पारस हॉस्पिटल ने बेड अनुपलब्धता के कारण नई भर्ती से मना किया और बताया कि भर्ती मरीजों के लिए ऑक्सीजन है।

PMCH में कोविड के नोडल डॉक्टर अरुण अजय का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मांग बढ़ी है। इस बार हर किसी के लंग्स में बड़ा असर हो रहा है। सांस लेने में 30 प्रतिशत लोगों को समस्या आ रही है। ऐसे में हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ गई है। डॉक्टरों का कहना है कि एक सिलेंडर पर मरीज को 22 से 24 घंटे जिंदगी मिल सकती है। एक सिलेंडर में इतनी ही गैस होती है। अगर इसका रेगुलेटर अधिक खोल दिया जाए तो यह समय घट भी सकता है। हर अस्पताल में बेस ऑक्सीजन ही है और इसी का संकट जानलेवा हो रहा है।

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