शराबबंदी कानून से पटना हाई कोर्ट परेशान, सरकार से पूछा-बताइए कैसे काम चलेगा

सरकार बताए, शराबबंदी के केसों का बोझ कैसे कम हो

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू होने के बाद इससे संबंधित केस से अदालतों पर बढ़ते बोझ पर गुरुवार को गहरी चिंता जताई। कहा कि शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से गत आठ जुलाई तक राज्य के 37 न्यायालयों में दो लाख सात हजार सात सौ 66 मामले लंबित हैं।

कोर्ट ने कहा कि लंबित मामलों की कैसे सुनवाई होगी? इस पर राज्य सरकार ने क्या कभी विचार किया है? सिर्फ कानून लागू करना सरकार का काम नहीं है। उसे यह भी देखना है कि कानून लागू होने के बाद उस कानून के तहत दर्ज मामलों की सुनवाई जल्द कैसे होगी, ताकि दोषी को सजा तथा निर्दोषों को बरी किया जा सके, लेकिन इतनी बड़ी तादाद में दर्ज मुकदमे को देख ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार सिर्फ कानून लागू कर अपने दायित्व से मुक्त हो गई। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने गत 21 अगस्त को न्यायमूर्ति डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय के एक आदेश पर सुनवाई की।

कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा कि 24 घंटे के भीतर राज्य के मुख्य सचिव कोर्ट को बताए कि निचली अदालतों में दर्ज मुकदमों का निपटारा करने के लिए क्या कार्रवाई की है। शराबबंदी के बढ़ते मुकदमों का बोझ कम करने के लिए क्या उपाय किए गए। साथ ही कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि कोर्ट से मिली जमानत के कितने मामलों में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कोर्ट ने कहा कि कानून लागू होने के बाद अब तक कोर्ट से लाखों लोगो को जमानत मिल चुकी है। कोर्ट ने मामले पर शुक्रवार को भी सुनवाई करने का आदेश दिया।

गौरतलब है कि राज्य में पांच अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी कानून लागू हुई थी। बीते तीन वर्षों के दौरान करीब 1 लाख 67 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया और 52 लाख दो हजार 80 लीटर शराब की जब्ती हुई। इस वर्ष आठ जुलाई तक 34 हजार 526 केस दर्ज किये गए।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *