बिहार में शराबबंदी कानून पर बड़ा फैसला, अब शराबियों को तुरंत मिलेगी सजा, नहीं होगी देरी

शराब से जुड़े केस में फैसला अब हाथों-हाथ, 55 नए जज नियुक्त, मामले पर सुनवाई में आयेगी तेजी, ट्रायल जल्द खत्म होगा, हाईकोर्ट की अनुशंसा पर सरकार ने जारी की अधिसूचना, शराबबंदी कानून का उल्लंघन करनेवालों को कड़ा संदेश : सरकार ने 55 अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को अनन्य विशेष उत्पाद न्यायालय में पीठासीन पदाधिकारी (जज) बना दिया है। पटना उच्च न्यायालय के महानिबंधक की अनुशंसा के आलोक में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को विशेष उत्पाद न्यायालयों का जज बनाया गया है। सामान्य प्रशासन ने अधिसूचना जारी कर दी है। राज्य सरकार ने शराबबंदी कानून के उल्लंघन मामले में तेजी से ट्रायल कर सजा दिलाने के लिये पूरे राज्य में 74 स्पेशल कोर्ट के गठन का बीते दिनों निर्णय करते हुए उसकी अनुमति के लिये हाईकोर्ट को भेजा था। हाईकोर्ट महानिबंधक की अनुशंसा पर अब 55 अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016 के तहत विशेष उत्पाद न्यायालयों में जज बना दिया गया है। –

पटना में चार विशेष अदालतें, लंबित हैं 45000 केस
{एडीजे पटना ओम सागर विशेष उत्पाद न्यायालय पटना के पीठासीन अधिकारी होंगे।
{एडीजे पटना सिटी बृजेन्द्र कुमार राय विशेष उत्पाद कोर्ट पटना सिटी के जज होंगे।
{एडीजे बाढ़ बलजिंदर पाल विशेष उत्पाद न्यायालय बाढ़ के जज बनाए गए।
{एडीजे दानापुर संतोष कुमार पांडेय विशेष उत्पाद न्यायालय दानापुर के जज होंगे।

दरअसल मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग की समीक्षा बैठकों में लगातार ये बाते आती रही हैं कि शराबबंदी से जुड़े मुकदमे में शिथिलता बरतने से दोषियों को सजा देने में देरी हो रही है। स्पेशल कोर्ट के काम नहीं करने से उसका असर वकीलों (स्पेशल पीपी) पर भी पड़ता रहा है। पिछले दिनों उत्पाद आयुक्त बी कार्तिकेय ने विधि विभाग से गया के चार पीपी पर कार्रवाई की अनुशंसा की थी। अब 55 स्पेशल कोर्ट से केस के निबटारे मे तेजी आयेगी। ट्रायल में तेजी आयेगी। इसका दूरगामी संदेश शराबबंदी कानून के उल्लंघन करने वालो पर जायेगा। हालांकि नए उत्पाद अधिनियम में नए संशोधन के बाद जुर्माना अदा कर मामलों का निष्पादन किए जाने की व्यवस्था लागू होने के बाद मामलों का निष्पादन तेजी से होने लगा है।

वर्तमान में पटना न्याय मंडल में उत्पाद अधिनियम के मामलों की सुनवाई के लिए गठित 4 विशेष अदालतें विभिन्न मंडलों में कार्यरत हैं। पूर्व में केवल पटना सिविल कोर्ट स्थित सदर अनुमंडल में एक ही विशेष अदालत हुआ करती थी जिसमें लगभग 45000 मामले लंबित थे। लेकिन वर्तमान में क्षेत्राधिकार के आधार पर मामलों का स्थानांतरण होने के बावजूद भी पटना सदर अनुमंडल में लगभग 11000 मामले लंबित हैं।

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