बाढ़ पर हाईकोर्ट सख्त, हमारे आदेश के बाद भी पटना में जलजमाव क्यों, दोषी अफसरों को छोड़ेंगे नहीं

कोर्ट सख्त : सरकार को जो करना है करे, लेकिन हम तो बख्शेंगे नहीं

पटना हाईकोर्ट ने कहा कि पटना से जलनिकासी के बारे में अदालती आदेशों को नहीं मानने वाले अफसर बख्शे नहीं जाएंगे। सरकार को जो करना है करे, हम उन अफसरों पर सख्त कार्रवाई करेंगे, जिन्होंने हमारा आदेश नहीं माना। बुधवार को कोर्ट, पटना में जलजमाव और इससे लोगों की हुई तबाही पर सुनवाई कर रहा था। कोर्ट में तब अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई, जब पूर्व सांसद पप्पू यादव पटना के जलजमाव पर बोलने लगे। कोर्ट ने पप्पू से पूछा-‘हू आर यू?’ उनसे, उनका परिचय जानने के बाद अदालत ने कहा-‘कोर्ट को पॉलीटिकल प्लेटफॉर्म न बनाएं। जो कहना है याचिका दायर कर कहें।’

जज ने कहा- यह कोर्ट की अवमानना है : न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय व न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी। न्यायमूर्ति शिवाजी पांडेय ने कहा-‘पटना में जलजमाव पर हाईकोर्ट के पिछले आदेशों की अवमानना का जिम्मेदार जो भी अफसर होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा।’ ध्यान रहे कि जनहित याचिकाओं पर हाईकोर्ट, पहले कई बार आदेश दे चुका है। एक आदेश पटना शहर से 24 घंटे में जलनिकासी का भी है। ऐसी सारी याचिकाओं की सुनवाई बुधवार के लिए सूचीबद्ध थी पर महाधिवक्ता के नहीं रहने के कारण नहीं हो सकी।

1997 व 2012 के मामले में कोर्ट ने दिया था आदेश : 1997 में एक हफ्ते तक लगातार बारिश होने से लगभग सारा पटना जलमग्न हो गया था। तब कोर्ट ने जनहित याचिका पर राज्य सरकार, पटना नगर निगम कोे सभी बड़े नालों से अतिक्रमण हटाने, उसकी सफाई और बेकार पड़े सम्प हाउसों को दुरुस्त करने का आदेश दिया था। 2012 में भी एक जनहित याचिका दायर की गई। अगस्त 2014 में पटना में खूब बारिश हुई तो हफ्ते भर तक शहर जलमग्न रहा। इसपर कोर्ट ने कहा था कि 24 घंटे से अिधक जलजमाव रहा तो यह कोर्ट की अवमानना होगी। निगम के अफसर जिम्मेदार होंगे।

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