जज्बे को सलाम, टूटे पैर के साथ एक हजार किमी साइकिल से पटना पहुंचा किशनगंज का मजदूर

पेट की भूख ऐसी कि टूटे पैर का द’र्द भी सह गये किशनगंज के नाजिर। टू’टे पैर के साथ एक-दो किलोमीटर नहीं बल्कि एक हजार किलोमीटर की दूरी साइकिल पर बैठकर तय कर ली। कभी-कभी रास्ते में गिर भी जाते थे। गिरने से पैर का दर्द असहनीय हो जाता है। पैर में अब भी प्लास्टर चढ़ा है। टूटे हुए पैर में रॉड भी डाला हुआ है। इसके बाद भी हिम्मत नहीं हारी। पांच दिनों में साइकिल से पटना पहुंच गए।

शुक्रवार को मीठापुर बस स्टैंड के पास इस उम्मीद में आये थे कि कोई बस मिल जाएगी। जब वहां तैनात पुलिसकर्मियों ने बताया कि जाने का कोई साधन नहीं मिलेगा तो आंखों में आंसू लिये नाजिर आने वाले ट्रक चालकों से गुहार लगाने लगे। गुहार ऐसी कि किसी का कलेजा फट जाए। बस एक ही रट लगा रहे थे अल्लाह रमजान के पाक महीने में किस गुनाह की सजा दे रहे हैं। अब चला नहीं जाएगा, हमें कोई घर पहुंचा दे। कुछ देर तक इंतजार करने के बाद भी कोई मदद को आगे नहीं आया। हारकर दोबारा साइकिल पर बैठे, कराहते हुए आगे बढ़ गए।

मजदूरी करते समय छत से गिर गए थे : नाजिर ने बताया कि वह बलरामपुर में मजदूरी कर रहे थे। मजदूरी करते समय छत से गिर गए थे। 15 दिनों तक अस्पताल में रहे। जब छुट्टी मिली तो लॉकडाउन हो गया। ग्रामीणों की मदद से उन्हें व *भतीजे को एक समय का खाना मिल जाता था। पर लोग कब तक मदद करते। धीरे-धीरे कभी-कभी ही खाना मिलने लगा। देखते-देखते एक माह बीत गया। लॉक डाउन 3 मई तक बढ़ गया। वह तो भूखे भी रह जाते, पर 12 साल के भतीजे को कैसे भूखे रखते।

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