पेट्रोल-डीजल सस्ता होने की संभावना, पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स घटाने को मोदी सरकार तैयार

कच्चे तेल की कीमतें कम होने और तेल कंपनियों को मुनाफे से मिल रहे संकेत, पेट्रोल -डीजल के दाम जल्द घटने की संभावना :

तेल कंपनियों ने आखिरी बार पिछले साल अप्रैल में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव किया था। इसके बाद मई 2022 में केंद्र सरकार ने केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर आठ रुपए और डीजल पर छह रुपये की एक्साइज ड्यूटी कम की थी। इससे देश में पेट्रोल 9.50 रुपये और डीजल 7 रुपये प्रति लीटर सस्ता हुआ था।

विशेषज्ञ बताते हैं कि अप्रैल में भारत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से औसतन 83.96 डॉलर प्रति बैरल की दर से कच्चा तेल खरीदा। इस दौरान भारतीय बास्केट में क्रूड की कीमत 78.45 डॉलर प्रति बैरल रही।

सरकारी तेल कंपनियां मुनाफे में

तेल कंपनियों ने बीते चार महीनों से पेट्रोल की बिक्री पर जमकर मुनाफा कमाया है। बीते दो महीनों से डीजल बिक्री पर भी लाभ प्राप्त हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल पर हुए पुराने नुकसान की भरपाई कर दी है। पेट्रोल की रिटेल बिक्री पर उन्हें हर लीटर पर पांच रुपये का फायदा हो रहा है।

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने जताई थी उम्मीद

बीते दिनों आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने उम्मीद जताई थी कि तेल कंपनियों के नुकसान की भरपाई हो जाने पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम हो जानी चाहिए। उन्होंने कहा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद कच्चे तेल के दाम में आए उछाल के बावजूद तेल कंपनियों ने जिम्मेदार आचरण किया और खुदरा कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की।

अप्रत्याशित लाभ कर शून्य
सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर अप्रत्याशित लाभ कर को घटाकर शून्य कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव घटकर 75 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गए हैं, जिसके बाद लाभ कर में कटौती की गई।

मार्जिन में आया सुधार
एक साल पहले करीब 100 डॉलर पर रहा कच्चा तेल अब घटकर करीब 75 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। इससे पेट्रोलियम कंपनियों के रिफाइनिंग मार्जिन में सुधार आया है। इसने कंपनियों का मुनाफा बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।

निजी कंपनियों की चुनौती
निजी क्षेत्र की कंपनियों जियो-बीपी ने बीते मंगलवार को प्रीमियम डीजल पेश किया, जिसकी कीमत सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों के सामान्य डीजल से भी कम रखी गई है। इससे भी सरकारी कंपनियों को चुनौती मिल रही है।

रूस से मिला सस्ता तेल
भारत के कच्चे तेल के आयात में ओपेक की हिस्सेदारी अप्रैल 2022 में 72 प्रतिशत थी, जो अप्रैल 2023 में घटकर 46 प्रतिशत पर आ गई है। इसकी वजह रूस से सस्ती दर मिला कच्चा तेल है। रूस का हिस्सा बढ़कर 36 प्रतिशत हो गया है।

उपभोक्ताओं को नहीं मिला फायदा

मई 2022 में कच्चे तेल की कीमत 109.5 डॉलर प्रति बैरल थी, जो मई 2023 में 75 डॉलर प्रति बैरल पर है। रुपये प्रति लीटर के अनुसार मई 2022 में कच्चा तेल 53.45 रुपये प्रति लीटर था। मार्च 2023 में यह 36.68 रुपए प्रति लीटर हो गया। कीमतों में कमी का फायदा अभी तक उपभोक्ताओं को नहीं मिला है।

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