PK ने खोला नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा, नागरिकता बिल का किया विरोध

ये रिश्ता क्या कहलाता है : जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने अपनी ही पार्टी को निशाने पर लेते हुए ट्यूट किया है की…JDU को #CAB का समर्थन करते हुए देखकर निराशा हुई, जो धर्म के आधार पर नागरिकता के अधिकार में भेदभाव करता है। उन्होंने कहा यह पार्टी के संविधान के साथ असंगत है जो पहले पृष्ठ पर तीन बार धर्मनिरपेक्ष शब्द का नेतृत्व करता है और नेतृत्व जिसे कथित तौर पर गांधीवादी आदर्शों द्वारा निर्देशित किया जाता है।

नागरिकता संशोधन विधेयक : कांग्रेस, राकांपा, बसपा, सपा ने किया विरोध, जदयू व बीजद ने किया समर्थन : नागरिकता संशोधन विधेयक पर सोमवार को लोकसभा में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और तेलंगाना राष्ट्र समिति ने विरोध दर्ज कराते हुए विधेयक पर पुनर्विचार की और इसमें मुस्लिम शब्द शामिल करने की मांग की, वहीं जदयू, लोजपा और बीजू जनता दल ने विधेयक का समर्थन किया.

कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन विधेयक को असंवैधानिक एवं संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया और कहा कि इसमें न केवल धर्म के आधार पर भेदभाव किया गया है, बल्कि यह सामाजिक परंपरा और अंतरराष्ट्रीय संधि के भी खिलाफ है. चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा, यह विधेयक असंवैधानिक है, संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. जिन आदर्शों को लेकर बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने संविधान की रचना की थी, यह उसके भी खिलाफ है. उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून में आठ बार संशोधन किया गया है, लेकिन जितनी उत्तेजना इस बार है, उतनी कभी नहीं थी. इसका कारण यह है कि यह अनुच्छेद 14, 15, 21, 25 और 26 के खिलाफ है. तिवारी ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 14 किसी भी व्यक्ति को भारत के कानून के समक्ष बराबरी की नजर से देखने की बात कहता है. लेकिन यह विधेयक बराबरी के सिद्धांत के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि संविधान में किसी के साथ जाति, धर्म के आधार पर विभेद नहीं करने की बात कही गयी है तब नागरिकता देते समय भेदभाव कैसे किया जा सकता है. कांग्रेस सांसद ने कहा कि ऐसे में संवैधानिक दृष्टिकोण से यह सभी आधारों पर उचित नहीं है.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सुप्रिया सुले ने कहा कि वह सरकार की मंशा पर सवाल नहीं उठा रहीं, लेकिन धारणाओं को लेकर प्रश्नचिह्न खड़ा होता है. उन्होंने कहा कि मुस्लिमों में असुरक्षा का माहौल बन रहा है. क्या एनआरसी विफल हो गया है, इसलिए सरकार विधेयक लायी है? सरकार को देश के दूसरे सबसे बड़े समुदाय की चिंताओं पर ध्यान देना चाहिए. सुले ने कहा कि गृह मंत्री ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में विधेयक पर सहमति की बात कही जो तथ्यात्मक रूप से गलत है, क्योंकि जेपीसी में इस पर कई सदस्यों ने असहमति जतायी थी. उन्होंने सवाल किया कि विधेयक लाने की तत्काल जरूरत क्या आन पड़ी. यदि पूर्वोत्तर को अभी शामिल नहीं किया जा सकता तो सरकार इसे इतनी जल्दबाजी में क्यों लायी. राकांपा सदस्य ने विधेयक वापस लेकर सरकार से इस पर पुनर्विचार की मांग की और कहा कि यह विधेयक संसद से पारित हो गया तो उच्चतम न्यायालय में नहीं टिकेगा.

बीजू जनता दल (बीजद) की शर्मिष्ठा सेठी ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इस विधेयक को एनआरसी से नहीं जोड़ा जाये. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने इसमें श्रीलंका को भी शामिल करने की मांग की. बीजद सदस्य ने सुझाव दिया कि इसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी शामिल करने पर विचार किया जाये. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के अफजाल अंसारी ने कहा कि यह संशोधन विधेयक संविधान की मूल भावना के विपरीत है इसलिए उनकी पार्टी इसका विरोध कर रही है. उन्होंने कहा कि जिन तीन देशों की बात हो रही है, उनमें धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ अच्छा बर्ताव नहीं होने की बात ठीक हो सकती है, लेकिन यह भी कटु सत्य है कि भारत से पाकिस्तान जाने वाले मुसलमानों के साथ भी वहां के नागरिकों के समान व्यवहार नहीं किया जाता. अंसारी ने कहा कि सरकार इन देशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के खिलाफ उन्हें पनाह देने की दरियादिली दिखा रही है तो थोड़ा और बड़ा दिल करके उसे मुस्लिमों को भी इसमें शामिल करना चाहिए.

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *