PM मोदी और अमित शाह के कारण अपने ही लोगों के लिए कुकुर बन गए हिमंत विश्वशर्मा

मजबूत, हिम्मती, शार्प ब्रेन… छात्र आंदोलन से निकला हुआ लड़का। आंदोलन वही बांग्लादेशी घुसपैठियों को भगाने के लिए, जिससे प्रफुल्ल मोहन्ता एंड कम्पनी का जन्म हुआ। अगप की सरकार बनी, हिमन्ता महत्वपूर्ण क्षत्रप थे, मगर वक्त बदला, मोहन्ता से दूर होते गए।

इतने दूर की कांग्रेस में आ गए। गोगोई की सरकार थी, जिनकी केंद्र में मजबूत पकड़ थी। सरकार गयी, हिमन्ता महत्वपूर्ण भूमिका चाहते थे। मगर तरुण गोगोई उन्हें स्पेस देना नही चाहते थे। फिर वो मशहूर घटना हुई।।

हिमन्ता ने एक इंटरव्यू में बताया कि वे राहुल से कांग्रेस की स्थिति पर बात करने दिल्ली गये थे। राहुल ने उन्हें बुलाया, बिठाया, बात सुनी.. मगर इसी दौरान अपने कुत्ते को बिस्कुट खिलाते रहे।

कुत्ते को राहुल की इज्जत, हिमन्ता को नागवार गुजरी। दस जनपथ से निकले तो सीधे बीजेपी मुख्यालय पहुंचे। वहां उन्हें इज्जत मिली, पद मिला। भाजपा को जिताने के लिए हिमन्ता ने हर कर्म-सुकर्म-कुकर्म किया। जीते, तो मुख्यमंत्री सोनोवाल हुए। मगर सीएम से ज्यादा ताक़तवर हिमन्ता बने। असम से आगे, नार्थ ईस्ट के बाकी राज्यो में तोड़फोड़, खरीद- बिक्री से बीजेपी की हालिया सरकारें बनना, अकेले हिमन्ता का करिश्मा है। पैसा, ताकत, भय, प्रलोभन हर चीज का इस्तेमाल उन्हें आता है।

लेकिन जिंदगी हर उड़ते को जमीन पर ला पटकती है। असम उसी घुसपैठिए मुद्दे पर जल रहा है। हिमन्ता इस दफे छात्र नही, छात्र दमनकर्ता की भूमिका में हैं। नतीजा यही है कि सड़कों पर छात्र उन्हें गालियां लिख रहे हैं।

दस जनपथ में कुकुर के बिस्कुट से जल भुनकर बाहर निकले हिमन्ता साहब को ही बीजेपी की पॉलिसी ने जनता के बीच कुकुर बना दिया है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *