अभी-अभी: लाकडाउन 4 पूरे देश में होगा लागू, PM मोदी ने देश को दिया आत्मनिर्भर बनने का मंत्र

लॉकडाउन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं। एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना वायरस और लॉकडाउन के मसले पर चर्चा की थी। पीएम मोदी ने कहा था कि भले ही हम लॉकडाउन को क्रमबद्ध ढंग से हटाने पर गौर कर रहे हैं लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि जब तक हम वायरस पर कारगर कोई वैक्‍सीन या उपाय नहीं ढूंढ लेते हैं तब तक वायरस से लड़ने के लिए हमारे पास सबसे बड़ा हथियार सामाजिक दूरी ही है।

पीएम मोदी ने कोरोना आपदा से निपटने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है, जो भारत की जीडीपी का 10 फीसदी है।पिछला और आज का पैैकेज का मिलाकर है यह राशि। पीएम ने कहा कि इस पैकेज के बारे में विस्तार से जानकारी बाद में दी जाएगी।

पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना से हमें बचना भी है और आगे बढ़ना भी है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ा आपदा भारत के लिए संदेश और एक अवसर लेकर आई है। उन्होंने कहा कि मैं एक उदाहरण के साथ बताना चाहता हूं कि जब कोरोना संकट शुरू हुआ तो भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी न ही एन95 मास्क का उत्पादन होता था। लेकिन आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज 2 लाख PPE और 2 लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं। हम ऐसा इसलिए कर पा रहे हैं क्योंकि आपदा को हमने अवसर में बदल दिया है।

आत्मनिर्भर भारत की ये भव्य इमारत, पाँच Pillars पर खड़ी होगी। पहला पिलर Economy एक ऐसी इकॉनॉमी जो Incremental change नहीं बल्कि Quantum Jump लाए दूसरा पिलर Infrastructure एक ऐसा Infrastructureजो आधुनिक भारत की पहचान बने। तीसरा पिलर- हमारा System- एक ऐसा सिस्टम जो बीती शताब्दी की रीति-नीति नहीं, बल्कि 21वीं सदी के सपनों को साकार करने वाली Technology Driven व्यवस्थाओं पर आधारित हो। चौथा पिलर- हमारी Demography- दुनिया की सबसे बड़ी Democracy में हमारी Vibrant Demography हमारी ताकत है, आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है।

-एक राष्ट्र के रूप में आज हम एक बहुत ही अहम मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी आपदा, भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, एक संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है। -विश्व के सामने भारत का मूलभूत चिंतन, आशा की किरण नजर आता है। भारत की संस्कृति, भारत के संस्कार, उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुंबकम है। -भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता। भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता होती है।

-जो पृथ्वी को मां मानती हो, वो संस्कृति, वो भारतभूमि, जब आत्मनिर्भर बनती है, तब उससे एक सुखी-समृद्ध विश्व की संभावना भी सुनिश्चित होती है। -विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही है- “आत्मनिर्भर भारत-पीएम मोदी के रात 8 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन से पहले सोशल मीडिया पर लॉकडाउन 4 ट्रेंड कर रहा है।

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