बाबा विश्वनाथमंदिर में पूजा कर रहे थे PM, बगल वाली मस्जिद में हो रहा था अजान, मुस्लिमों में खुशी

काशी से ग्राउंड रिपोर्ट: PM मोदी जब काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा कर रहे थे, तब ज्ञानवापी मस्जिद में क्या हो रहा था? : जिस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में पूजा और भ्रमण कर रहे थे उस वक्त मंदिर के ठीक बगल में खड़ी मुगल काल में बनी विशाल ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज पढ़ी जा रही थी।काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जो आज अपने उद्घाटन के साथ पूरा हो गया है। इसी प्रोजेक्ट के लिए मंदिर परिसर के आसपास बने मकान और अन्य स्थल हटाए गए हैं। खुली जमीन में ज्ञानवापी मस्जिद अब पहले से ज्यादा साफ और बड़ी दिखने लगी है।

मस्जिद की इंतेजामिया समिति काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन से खुश है। अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद, वाराणसी के संयुक्त सचिव सैयद एम यासीन कहते हैं, ‘कॉरिडोर से मस्जिद भी सुरक्षित हुई है।’ कॉरिडोर के उद्घाटन पर खुशी जाहिर करते हुए यासीन कहते हैं कि जिस समय प्रधानमंत्री मंदिर परिसर में थे, मस्जिद में नमाजी आ रहे थे। मुसलमानों को मस्जिद में पहुंचने में किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई है, बल्कि पहले से आसानी ही हुई है। हम खुश हैं कि इतने शांतिपूर्ण माहौल में कॉरिडोर का उद्घाटन हुआ है।

ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद भी है। हिंदूवादी समूह आरोप लगाते रहे हैं पहले मूल काशी विश्वनाथ मंदिर यहीं था जिसे तोड़कर ये मस्जिद बनाई गई थी। मस्जिद की ऊंची मीनार से होते हुए नजर जब नीचे आती है तो मस्जिद मंदिर सी लगने लगती है, क्योंकि इसकी मूल दीवार अभी भी प्राचीन मंदिर का ढांचा ही लगती है।

इस मस्जिद को लोहे के मजबूत जाल से घेरा गया है और इसकी सुरक्षा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान 24 घंटे मुस्तैद खड़े रहते हैं। बाहरी लोगों को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है। सिर्फ स्थानीय मुसलमानों को ही यहां नमाज पढ़ने दी जाती है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद एक बार फिर चर्चा में है।

सैयद एम यासीन कहते हैं कि ये पूरी परियोजना बहुत अच्छी है और हमें खुशी है कि यहां अच्छा काम हुआ है। हमारे लिए आज का दिन बहुत अच्छा है। हमारे नमाजियों को मस्जिद में जाने में कोई परेशानी नहीं हुई है। एक तरफ मंदिर में पूजा हो रही है और दूसरी तरफ मस्जिद में नमाज पढ़ी जा रही है। इससे अच्छा और क्या हो सकता है। विश्वनाथ धाम के इस लोकार्पण से जितनी खुशी हिंदू भाइयों को है उतनी ही खुशी हमें हैं। जो कुछ दिक्कतें थीं वो भी दूर हो जाएंगी।

वाराणसी का माहौल बताते हुए यासीन कहते हैं कि मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है और मस्जिद में नमाजियों की। हम सभी को इस ऐतिहासिक पल की मुबारकबाद देना चाहते हैं। ज्ञानवापी एक ऐतिहासिक मस्जिद है। इसका प्रबंधन मुसलमानों की समिति करती है जो वाराणसी की अन्य मस्जिदों की जिम्मेदारी भी संभालती है। वे कहते हैं कि मुसलमान मस्जिद के लिए किसी भी तरह का फंड सरकार से नहीं लेते हैं। मस्जिद की जरूरतें मुसलमानों से मिलने वाले पैसे से पूरी हो जाती हैं।

ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर कई विवाद भी अदालतों में चल रहे हैं। इसी साल 8 अप्रैल को वाराणसी की एक अदालत ने मस्जिद के पुरातत्व सर्वेक्षण का आदेश दिया था जिस पर बाद में हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी।

यासीन बताते हैं कि यहां की स्थानीय अदालतों में जो मुकदमें चल रहे हैं वो तो चल ही रहे हैं। इसके अलावा इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी केस चल रहा है। पुरातत्व सर्वेक्षण पर स्टे है इसके अलावा एक मामले में फैसला सुरक्षित है। जो स्थानीय अदालतों में मुकदमे हैं वो प्राइमरी स्टेज पर हैं। इस तरह के मुकदमों से लोगों को राजनीतिक फायदा भी मिलता है। कुछ लोग शोहरत हासिल करना चाहते हैं, ऐसे में मुकदमें तो चलते ही रहेंगे। हम मुकदमों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

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