PM मोदी का बिहार विरोधी फैसला, जमालपुर रेल कारखाने का होगा प्राइवेटाइजेशन
PATNA : रेलवे बोर्ड ने भारतीय रेल के निजीकरण का फैसला ले लिया हैं। जिसे क्रमिक रूप से मूर्त रूप दिया जा रहा है। इसी क्रम में जल्द ही जमालपुर रेल कारखाने का निजीकरण कर दिया जायेगा. ये बातें ईस्टर्न रेलवे मेंस युनियन के केंद्रीय स॑चिव शुभेंद बंधोपाध्याय ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कही. उन्होंने कहा कि वास्तव में रेलवे के निजकरण का निर्णय कंग्रेस सरकार में लिया गया था. ममता बनर्जी के रेलमंत्री के समय में ही इसे मूर्त रूप दिये जने का प्रयास किया गया या. परंतु एनडीए की सरकर ने इसे तेजी से आगे बढ़ाने काकाम किया. देवरगाई कमेटी के पहले श्रीधरण कमेटी और अमित मित्र कमेटी के सिफारिशों को काफी तेजी से लागू किया जा रहा है।
बिहार में खुला था एशिया का पहला रेल फैक्ट्री, जमालपुर को डलहौजी बनाना चाहते थे देश की राजधानी : बिहार का जमालपुर एक छोटा सा शहर है। यहां पर एशिया का पहला वर्कशॉप खुला था। वर्कशॉप खुलने से पहले अंग्रेज लार्ड डलहौजी जमालपुर को भारत की राजधानी बनाना चाहते थे। क्योंकि लार्ड डलहौजी को जमालपुर का वातावरण, यहां की सुंदरता बहुत अच्छी लगती थी।
जब कोलकाता देश की राजधानी नहीं बनी थी तो खुद लेडी कर्जन और लार्ड डलहौजी की इच्छा थी कि जमालपुर इंडिया का कैपिटल स्टेट बने। उनके लिए जमालपुर उपयुक्त जगह थी लेकिन इसके लिए पानी के जहाज का आवागमन एक बड़ी बाधा बनी। तब तय हुआ 6 किलोमीटर दूर गंगा को काटकर जमालपुर से मिला दिया जाए।
इंजीनियर डेविड जोन्स ने पूरी रुपरेखा तैयार तो कर ली लेकिन उनके दोस्तों ने यह कहकर इस प्रोजेक्ट को खारिज कर दिया कि गंगा हर 30 साल में अपनी धारा बदल देती है। खैर, जमालपुर को राजधानी बनने का गौरव तो प्राप्त नहीं हुआ लेकिन क्वीन विक्टोरिया की सहमति से एशिया का पहला रेलवे वर्कशॉप बनने का गौरव जमालपुर को प्राप्त हुआ।
विक्टोरिया ने लिखा कि इस स्थान की सुंदरता से अलग, यहां की जलवायु की स्थिति, पहाड़ों तथा इसके साथ दो वाटर रिजर्वायरों के साथ कहीं अधिक शीतोष्ण एवं कुशल मजदूरों की उपलब्धता इस कारखाने को यहां स्थापित करने की मुख्य वजह थी।
इस कारखाने के बारे में भ्रम ये फैलाया गया कि जो रेलमंत्री इस कारखाने में आयेगा इसकी रेलमंत्री की कुर्सी चली जायेगी। नतीजा ये हुआ कि बिहार के रेलमंत्री रामविलास पासवान, नीतीश कुमार और लालू यादव ने इसकी सुध नहीं ली। तत्कालीन रेलमंत्री रामविलास पासवान का तयषुदा कार्यक्रम ऐन वक्त पर टाल दिया गया। अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो जमालपुर आज आर्थिक सिरमौर बन गया रहता
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