जनता के लिए पुलिस और डॉक्टर भगवान है, लेकिन पुलिस और डॉक्टर के लिए भगवान कौन है?

PATNA : एक अदृश्य वायरस- कोरोना-19 ने पूरे विश्व में तहलका मचा दिया। दुनियाभर में इस वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफ़ा हो रहा है। विश्व में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या लगभग ‘तीन मिलियन’ के आकड़े को पार करती नजर आ रही है। वहीं भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या लगभग 31 हजार के आकड़े को पार कर रही है। ऐसे में अगर सचमुच मैदान में कोरोना को हराने के लिए कोई लड़ रहा है तो वो है पुलिस और डॉक्टर। समाज में जब भी कोई अनहोनी घटती है तब भगवान के बाद हम अगर किसी को याद करते हैं तो वे हैं पुलिस और डॉक्टर। इस वैश्विक महामारी के समय में पुलिस और डॉक्टर ही हमारे सामने भगवान के रूप में खड़े हैं और हमारी हर तरह की समस्या को हल करने की कोशिश कर रहे हैं। सचमुच देखा जाए तो इस कोरोना जंग के हीरो पुलिस और डॉक्टर ही हैं।

आज देश कोरोना से लड़ रहा है और इस लड़ाई के लिए अहम हथियार के तौर पर सरकार ने जनता कर्फ्यू को चुना है। इस लॉकडाउन के समय में हमें तो बस अपने घर पर रहना है लेकिन पुलिस और डॉक्टर योद्धा बन कर मैदान में जंग लड़ने उतरे हैं। उनके लिए तो न लॉकडाउन है, न ही छुट्टी और काम से घर लौटने पर भी अपनों से दूर रहने को वे मजबूर हैं। सुबह से लेकर रात तक वे हर पल जनता की निगरानी में लगे हैं, चाहे सड़क पर या जंगल में रहने वाली जनता हो; या फिर राजपथ में रहने वाला कोई वीआईपी।

इस समय पुलिस और डॉक्टर जनता को कोरोना से बचाने के लिए वह काम भी कर रहे हैं जो करते शायद उन्हें पहले कभी न देखा गया हो। कहीं गाना गा कर, तो कहीं पथनाट्य करके और कहीं कविता पाठ करके वे लोगों को कोरोना से सचेतन करने के साथ ही सरकारी निर्देश पालन कराने की कोशिश कर रहे हैं। वे अपने परिवार को छोड़कर दिन-रात हम सबका ख़्याल रख रहे हैं। उनके घरवाले भी इस इंतज़ार में हैं कि वे कब घर आएंगे। वे किसी के स्वामी- स्त्री, किसी के पिता या माता या फिर बेटा और बेटी हैं। लेकिन पुलिस और डॉक्टर सोचते हैं कि इस समय उनके लिए पूरी दुनिया ही उनका परिवार है और जिस तरह कोई ज़िम्मेदार व्यक्ति अपने परिवार का ख्याल रखता है, उसी तरह पुलिस और डॉक्टर जनता का ख्याल रख रहे हैं। दुनिया भर के कई डॉक्टर कोरोना मरीजों के इलाज करने के दौरान संक्रमित हो रहे हैं तो कई अपनी जान तक गँवा चुके हैं। फिर भी जनता के लिए वे अपना घर छोड़ कर जनता की सेवा में लगे हैं।

मेरी बात कुछ पुलिसकर्मियों से हुई तो उन्होंने बताया कि हम लोग लगभग दो महीने से घर नहीं गए हैं और न ठीक से फोनपर अपने परिवार से बात कर पाए। पश्चिम बंगाल के लोकल पुलिस थाना मोथाबाड़ी के एस.आई.(S.I) ने बताया कि इस समय मेरे इलाके में जितने भी लोग हैं, यही मेरा परिवार है। हम इन लोगों को सचेतन करने में लगे रहते हैं और रात में जितने भी गरीब, अनाथ ,दिव्यांग और दिहाड़ी-मजूरी हैं, सबके घर में खाना पहुंचाने जाते हैं। शहरों में तो पुलिस बाजार से जरूरत का सामान तक खरीदकर जनता के घर-घर पहुंचा रही है।

देशवासियों की सुरक्षा के लिये पुलिस और डॉक्टर अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हैं और सामने आकर लोगों की मदद कर रहे हैं, लगता है जैसे हम सबके जीवन को पुनर्जीवन दे रहे हैं। हम सभी जानते हैं कि इस जानलेवा वायरस से कोई नहीं बचा सकता है, लेकिन इस समाज के पुलिस और डॉक्टर भगवान का रूप लेकर 24 घंटों जनता के लिए, जनता के साथ जनता को बचाने के लिए जुटे हुए हैं।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि पुलिस और डॉक्टर को बचाने के लिए, उनकी रक्षा करने के लिए भगवान का रूप लेकर कौन आ रहा है? क्योंकि समाज में पिछले कुछ दिनों से जिस तरह पुलिस और डॉक्टर के साथ जनता बदसलूकी के साथ व्यवहार कर रही है उससे लगता है कि जनता खुद आत्महत्या करने जा रही है। जब हम समाज के रक्षकों को ही मार रहे हैं तब फिर हम कैसे बच सकते हैं।

गाँव में पुलिस की गाड़ी के ऊपर पत्थर फेंका जाता है, पिछले कुछ दिनों में डॉक्टरों व पुलिसकर्मियों पर थूकने व उनके साथ बदसलूकी करने के मामले सामने आए हैं। पंजाब के पटियाला जिले के संनौर रोड स्थित सब्जी मंडी के बाहर सुबह कर्फ्यू पास मांगने पर भड़के कुछ निहंग शिखों ने पुलिस के बैरिकेड को तोड़ते हुए गाड़ी को अंदर घुसाकर पुलिसकर्मियों को धक्का दे दिया। वहीं, हावड़ा में दो-तीन दिन पहले एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें पुलिस सोशल डिस्टेन्स रखने के लिए कह रही है, उसी दौरान जनता नाराज़ होकर पुलिस पर हमला करती नजर आ रही है। ऐसी रोज ना जाने कितनी घटनाएँ घट रही हैं जिनमें से कुछ सामने आ रही हैं और बाकी पुलिस और डॉक्टर को सहन करनी पड़ रही हैं। फिर भी वे जनता की सेवा में दिन-रात लगे हैं

इस समय जनता को पुलिस और डॉक्टर का साथ देने की जरूरत है। हमें पुलिस प्रशासन के निर्देशों का पालन करके कोरोना को हराने की जंग में जुटे रहना चाहिए। डॉक्टर की बात का अनुसरण करते हुए घर से बिना वजह नही निकलना चाहिए। नमाज़ या पूजा के लिए मंदिर-मस्जिद में न जाकर कुछ दिन के लिए अपने घर को मंदिर-मस्जिद के रूप में देखिए। हम जानते हैं कि ईश्वर या अल्लाह हर जगह है, और ‘जीवन बचेगा तो हर धर्म सुरक्षित रहेगा’ यह समझने की जरूरत है।

आम जनता नियम उलंघन के कारण पुलिस और डॉक्टर की जान खतरे में तो डाल ही रही है, साथ ही अपनी और अपने परिवार की जान के साथ भी खिलवाड़ कर रही है। इस मुसीबत की घड़ी में हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए। पुलिस और डॉक्टर भगवान की रूप में आकार हम सबकी सेवा और देख भाल करके हमें कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी से बचा रहे हैं। वे अपने फर्ज की कीमत अपने खून से चुकाकर गुमनाम योद्धा की तरह हमारी रक्षा करने में जूटे हैं।

पुलिस और डॉक्टर लगातार खतरों से जूझते हुए भी सर्दी, गर्मी, अंधेरे में हम सबका जीवन बचाने के लिए चौबीसों घंटे भगवान की तरह हमारे साथ है । इसलिए जनता को यह सोचने की जरूरत है कि सिर्फ़ एकदिन शंख या थाली बजाकर, मोमबत्ती या द्वीप जलाकर पुलिस और डॉक्टर को भगवान पुकारकर शुक्रिया कहना ही काफी नहीं है, बल्कि भगवान का साथ देना, नियमों का पालन करना और जनता को भी पुलिस और डॉक्टर की सेवा कर खुद को धरती का भगवान साबित करना होगा।

दुनिया भर में पुलिसकर्मी, डॉक्टर व नर्स से लेकर जितने भी स्वास्थ्यकर्मी हैं, हमें सबका साथ देना होगा, तभी इस कोरोना से लड़ाई जीत सकते हैं। और तब जाकर जनता इस समय पुलिस और डॉक्टर के लिए भगवान बन सकती है। विवेकानंद ने देशवासियों में ही ईश्वर को देखा था। आज फिर एकबार देशवासियों को भगवान का रूप दिखाने का समय आ गया है।

सद्दाम होसैन ( सहायक अध्यापक एवं स्कॉलर, पत्रिकारिता एवं जन संचार विभाग, कलकत्ता विश्वविद्यालय) यह लेखक के नीजि विचार हैं।

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