12 March 2025

OPINION : दिल्ली चुनाव परिणाम ने पूरे देश के विपक्ष की राजनीति की दशा और दिशा तय कर दी है

ashok mishra sir ki political analysis

PATNA : दिल्ली विधान सभा का चुनाव महज एक राज्य का चुनाव नहीं है।और इस चुनाव परिणाम का असर सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित नहीं है।यानि देश की राजधानी का यह चुनावी परिणाम आने वाले दिनों में देश की दिशा और दशा तय करेगी ।कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प बनने का सपना देख रहे अरविंद केजरीवाल की ऐसी हालतदिल्ली की जनता ने की दी जिसकी कल्पना उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था। तात्कालिक तौर पर कारण यहां केजरीवाल की हार के रूप में दिख रही है लेकिन हकीकत है कि इस हार ने पूरे देश के विपक्ष की राजनीति की दशा और दिशा तय कर दी है और विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टीकांग्रेस के समक्ष एक गंभीर सा।संकट पैदा कर दिया है कि वह पहले बीजेपी से दो दो हाथ करे या फिर विपक्ष के अपने सहयोगियों से ।

दरअसल 2024 के लोक सभा चुनाव के पहले विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिये बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल को सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी ने पहुंचाया तो उसमें राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी की रही है।इन लोगों के चलते नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन के संयोजक नहीं बन पाए ।परिणाम सामने है। बीजेपी ने विपक्षी एकता के सूत्रधार नीतीश को ही अपने पाले में कर लिया जिसका चुनाव परिणाम सामने है और आज मोदी फिर से पीएम की गद्दी पर मौजूद है। बीजेपी की यह रणनीति रही है कि विपक्ष कमजोर रहे और उनमें एकता न हो ।यही वजह है की समय समय पर विपक्ष के नेताओं को जेल और फिर बेल का वह खेल खेलती रही है। हरियाणा विधान सभा चुनाव के ठीक पहले अरविंद केजरीवाल का जमानत मिलना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है ।

चुकी मोदी एवं शाह की टीम को यह पता था कि जहां जहां केजरीवाल चुनावी मैदान में उतरे हैं वहां कांग्रेस को भारी नुकसान और बीजेपी को फायदा हुआ है । केजरीवाल के चलते कांग्रेस गुजरात में 17 सीटों पर सिमट गई और विपक्षी दल का रुतबा भी खो दिया।यही हाल गोवा में कांग्रेस 11 सीटों पर सिमट गई तो हरियाणा में 5 सीटों के चलते सत्ता से बाहर हो गई जबकि पंजाब में भी केजरीवाल ने कांग्रेस से सत्ता छीन ली।

यानी बीजेपी से छोटा दुश्मन केजरीवाल भी कांग्रेस के लिए नहीं निकले
यही हाल अन्य दलों का है पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी यूपी में अखिलेश यादव केरल में सीपीएम जैसी विपक्षी पार्टियां कांग्रेस को ही दुश्मन है ।वह कांग्रेस को इन राज्यों से बेदखल करना चाहती है।बिहार के लालू यादव ने भी पहले से ही बेदखल कर रखा है ।आखिर कांग्रेस करे तो क्या करे ।

ऐसे में अब लगता है किकांग्रेस नेतृत्व ने मान लिया है कि बीजेपी और क्षेत्रीय क्षत्रपों दोनों से साथ साथ लड़ेंगे।इसलिए दिल्ली के बाद बिहार बंगाल की तरफ भी कांग्रेस ने रुख किया है और राहुल गांधी का इन दोनों राज्य में दौरा तय है।कांग्रेस मान रही है का जब तक दलित अल्पसंख्यक एवं पिछड़ों का वोट वह मजबूत नहीं करती तब तक बीजेपी को शिकस्त देना मुश्किल है और इसमें बाधकक्षेत्रीय दलों के मठाधीश है।

फिलहाल बीजेपी के नेता तो गदगद है।यही वजह है कि दिल्ली की जीत के तुरंत बादही उसने मणिपुर के सीएम से इस्तीफा दिलवाकर अपनी सरकार बचा ली है।फिलहाल देखिए आगे आगे होता है क्या ।हस्तिनापुर की हार से केवल केजरीवाल और कांग्रेस ही नहीं ममता बनर्जी जिन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा को केजरीवाल के पक्ष और कांग्रेस के खिलाफ चुनाव प्रचार में भेजा था तो अखिलेश यादव खुद केजरीवाल के समर्थन में गए थे।उन लोगों को भी आने वाले खतरे का अहसास है ।आखिर बीजेपी के मारे कांग्रेस से समर्थन की उम्मीद लगाए रहने वाले इन नेताओं को आखि़र आने वाले संकट का आभास तो जरूर हो रहा होगा। फिलहाल आप कह सकते है कि पहली बार मोदी और शाह की टीम का दिल्ली की सल्तनत और हस्तिनापुर पर पूरा कब्जा हुआ है।

—अशोक कुमार मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार, पटना

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