CM उद्धव ठाकरे की कुर्सी खतरें में, पीएम मोदी से लगाई मदद की गुहार

कोरोना के खिलाफ जारी जं/ग के बीच महाराष्ट्र में सियासी पारा चढ़ता जा रहा है. राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को गवर्नर कोटे से MLC बनाए जाने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एंट्री हो गई है. सीएम उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी से मदद मांगी है. वहीं, पीएम ने भी इस मसले को देखने की बात कही है. बता दें कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एमएलसी नामित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने कैबिनेट से दो बार प्रस्ताव पास कर भेजा है, लेकिन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है. ऐसे में उद्धव की कुर्सी पर खतरा मंडराता दिख रहा है.

सूत्रों ने दावा किया, उद्धव ने मोदी को फोन करके कहा कि राज्य में कोरोना संकट चरम पर है। इसी बीच राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिशें हो रही हैं। महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में ऐसे समय राजनीतिक स्थिरता ठीक नहीं है जब राज्य कोविड-19 जैसे संकट का सामना कर रहा है। उद्धव ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि वह इस मामले को देखें। रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पीएम मोदी ने आश्‍वासन दिया है कि वह इस मामले को देखेंगे।

बातचीत के दौरान उद्धव ने राज्य कैबिनेट के उन्‍हें विधान परिषद में नामित करने के फैसले के बारे में भी बताया। गौरतलब है कि उद्धव ने पीएम मोदी से ऐसे समय पर बात की है जब महाविकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi, MVA) के नेताओं ने राज्‍यपाल बीएस कोश्यारी से मिलकर उन्‍हें कैबिनेट के ताजा फैसले से अवगत कराया है। कैबिनेट के इस फैसले में राज्‍यपाल से गुजारिश की गई है कि वे उद्धव ठाकरे को गवर्नर कोटे से विधान परिषद के सदस्‍य के तौर पर नामित करें। इससे पहले नौ अप्रैल को भी कैबिनेट ने ऐसा प्रस्‍ताव किया था।

असल में उद्धव चुनाव जीतकर विधानसभा सदस्य बनना चाहते थे लेकिन लॉकडाउन के कारण सभी प्रकार के चुनाव स्थगित कर दिए गए। इससे उनकी योजना आकार नहीं ले सकी। बीते दिनों शिवसेना सांसद संजय राउत ने कोश्यारी की तरफ से हरी झंडी मिलने में हो रही देरी के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को निशाने पर लिया था। शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखे कॉलम में राउत ने दावा किया था कि उद्धव 27 मई के बाद भी महाराष्ट्र के सीएम बने रहेंगे। उन्होंने आरोप लगाए थे कि राज्यपाल को नामांकन फाइल पर हस्ताक्षर करने के मसले पर फैसला लेने के लिए दिल्ली के भाजपा नेताओं से पूछना होगा।

महाराष्ट्र के सियासी संकट के बीच अब सबकी नजरें राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर टिकी हुई हैं। सत्‍ता पक्ष के नेताओं का आरोप है कि इस मसले पर राज्‍यपाल का रवैया टाल-मटोल वाला रहा है। सूत्रों की मानें तो ठाकरे के नामांकन पर अनिश्चितता के चलते राज्‍य सरकार विधान परिषद चुनावों के लिए चुनाव आयोग से संपर्क करने पर भी विचार कर रही है। बता दें कि उद्धव ठाकरे ने अब से पहले महाराष्ट्र में कभी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़े हैं। उनके बेटे आदित्य ठाकरे इस परिवार से चुनाव लड़ने वाले पहले सदस्‍य थे।

मालूम हो कि मंगलवार को महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) के नेताओं ने उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करके उन्हें उद्धव का राज्यपाल कोटे से विधान परिषद में मनोनयन करने संबंधी कैबिनेट की नई सिफारिश सौंपी थी। कैबिनेट ने इस आशय की पहली सिफारिश नौ अप्रैल को की थी। राज्यपाल से मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल के सदस्य रहे एक वरिष्ठ मंत्री ने बताया कि उन्होंने राज्यपाल से जल्द से जल्द फैसला लेने का अनुरोध किया। कानून के मुताबिक कैबिनेट का फैसला वैध है और कैबिनेट की सिफारिश मानने के लिए राज्यपाल बाध्य हैं। इस पर राज्यपाल ने कहा कि वह एक हफ्ते में अपना फैसला बता देंगे।

एमवीए सरकार का समर्थन कर रहीं चार छोटी पार्टियों के नेताओं ने बुधवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से आग्रह किया कि वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधान परिषद सदस्य के रूप में मनोनीत करने के कैबिनेट के प्रस्ताव पर फैसला लें। अपने पत्र में इन नेताओं ने राज्यपाल से सवाल किया कि उन्होंने अभी तक उद्धव को मनोनीत क्यों नहीं किया है। इस समय मुख्यमंत्री पद को लेकर भ्रम की स्थिति ठीक नहीं है। पत्र लिखने वालों में भारतीय शेतकारी कामगार पार्टी के नेता जयंत पाटिल, जनता दल (एस) के महाराष्ट्र अध्यक्ष शरद पाटिल, स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के राजू शेट्टी और आरपीआइ (एस) के नेता श्याम गायकवाड़ शामिल हैं।

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