बिहार की तरह MP में होगा तख्तापलट, एक बार फिर से बनेगी BJP की सरकार, कांग्रेस की हार तय

Pankaj Srivastava

मध्य प्रदेश ठीक उसी तरह तख्ता पलट के मुहाने पर खड़ा है जैसे बिहार में देखने को मिला था। दोनों राज्यों में तख्ता पलट की पटकथा लिखने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ही थे। दरअसल अरुण जेटली और ज्योतरादित्य सिंधिया के बीच पहले ही डील हो चुकी थी, लेकिन जेटली के निधन से मामला अटक गया था। इस डील में हिन्दुस्तान टाइम्स की शोभना भारतीय की अहम भूमिका बताई जाती है।

सवाल उत्पन्न होता है शोभना भारतीय ने आखिर क्यूँ मध्यस्थ की भूमिका निभाई? सभी जानते हैं उनकी निष्ठा सदैव कांग्रेस से बंधी रही। खबरों को खंगाले तो जबाब यही निकलकर आयेगा कि मोदी के पहले कार्यकाल में शोभना भारतीय के व्यवसायिक सल्तनत पर ईडी ने शिकंजा कसा था। मजबूरन उन्होंने ये दायित्व सम्भाला। विश्वसनीय सुत्रों की माने तो मौजूदा राजनैतिक संकट के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह का भी बड़ा हाथ है।

सिंह ने पर्दे के पीछे रहकर विधायकों को बंगलौर पहुँचने में बड़ी भूमिका निभाई। यहाँ सवाल उठना लाजमी है दिग्विजय ये आत्मघाती गोल क्यूँ करेंगे? जबाब यही है दिग्विजय सिंह अपने बेटे को मध्य प्रदेश की राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं। तो दुसरी ओर कमलनाथ अपने बेटे को जो ज्योतरादित्य सिंधिया के रहते सम्भव नहीं है। मध्य प्रदेश की राजनीति पर पैनी नजर रखने वालों की माने तो दिग्विजय सिंह का दोहरा चेहरा और चरित्र है। वो सार्वजनिक तौर पर वो कमलनाथ से करीबी दिखाना चाहते हैं जो उनके लिए एक राजनैतिक मजबूरी है। कमलनाथ का कद और पद को कतरने की उनके पास मादा नहीं है क्योकि इंदिरा गाँधी के कार्यकाल से लेकर राजीव गाँधी यहाँ तक की मौजूदा दौर में भी वो पार्टी के लिए धन उगाहने में हमेशा अव्वल रहें हैं।

अब सवाल उत्पन्न होता है क्या दिग्विजय अपने बेटे को मध्य प्रदेश की राजनीति में स्थापित कर ज्योतरादित्य सिंधिया की भरपाई कर लेगे? इसका जबाब यही है कि दिग्विजय ये मान कर चल रहें है कि राजस्थान में जो हाल उनके बुआ का हुआ वही हाल ज्योतरादित्य सिंधिया का कांग्रेस छोड़ते ही हो जायेगा। मध्य प्रदेश के एक वरिष्ठ नेता की माने तो ज्योतरादित्य सिंधिया की वजह से व्यापम घोटाले की जाँच नहीं हो पायी। उनकी माने तो जब भी जाँच की दिशा में कमलनाथ ने विधायकों की मीटिंग बुलायी सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के संग किसी अन्य मुद्दे पर रैली करने निकल पड़े। एक और सवाल उठेगा क्या इस डील की जानकारी कांग्रेस आलाकमान को समय रहते नहीं हुई?

अगर हुई तो उसने समय रहते कोई कठोर और निर्णायक कदम क्यूँ नहीं उठाया। दरअसल इस खबर को भाजपा ने जान बुझकर लीक किया ताकि ज्योतिरादित्य के पास विकल्प की कमी रह जाए और वही हुआ। राहुल के कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने के बाद नए अध्यक्ष सिंधिया के नाम पर सोनिया तैयार हो गयी थी लेकिन भाजपा का निशाना यानि खबर का लिक करना सटीक बैठा ज्योतिरादित्य- शोभना-जेटली डील की खबर सोनिया के कानों तक पहुँचा दिया गया सिंधिया कहीं के न रह गये। मतलब देर सबेर इन्हें भाजपा में जाना ही था।

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