प्रशांत किशोर का दावा- NRC पर फिर शुरू होगा काम, SC के फैसले का इंतजार कर रही मोदी सरकार
जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने पार्टी लाइन से अलग जाकर नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) का विरोध किया था.
जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने पार्टी लाइन से अलग जाकर नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) का विरोध किया था. वह अभी भी अपने रुख पर कायम हैं. किशोर ने नागरिकता कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) को लेकर पार्टी के सामने अपना पक्ष रख दिया है. कुछ देर पहले उन्होंने CAA और NRC के मुद्दे पर एक ट्वीट किया है.
प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया कि केंद्र सरकार का दावा है कि अभी तो NRC की कोई चर्चा ही नहीं हुई है. यह कुछ और नहीं बल्कि देशभर में नागरिकता संशोधन कानून और NRC को लेकर हो रहे भारी विरोध को देखते हुए कहा गया है. यह सिर्फ सरकार के कुछ देर के लिए थमने की कोशिश है, यह पूर्ण विराम नहीं है. सरकार नागरिकता कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक इंतजार कर सकती है. अदालत से पक्ष में फैसला आने के बाद एक बार फिर से पूरी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
बताते चलें कि प्रशांत किशोर ने नागरिकता संशोधन कानून और NRC के मुद्दे पर हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद किशोर ने दावा किया था कि बिहार में NRC किसी भी सूरत में लागू नहीं होने देंगे. उन्होंने बताया कि NRC को लेकर नीतीश कुमार भी अपने पुराने रुख पर कायम हैं.
हाल ही में NDTV के साथ खास बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा था, ‘मैं इसकी मंशा के पीछे नहीं जा रहा हूं. हकीकत में जब इस तरह के कानून लागू होते हैं तो वह गरीब ही होते हैं जो सबसे ज्यादा इससे प्रताड़ित होते हैं. जैसे नोटबंदी, इसे लागू करने का मकसद था कि जिन लोगों के पास कालाधन है, उन लोगों पर चोट की जाए. अमीरों के पास ही कालाधन होता है. आखिरकार किसने इसकी कीमत चुकाई, गरीब आदमी ने इसकी कीमत चुकाई जिसके पास कालाधन था भी नहीं. उन्हें लाइन में लगना पड़ा.’
JDU नेता ने आगे कहा, ‘NRC की बात करें तो अपनी नागरिकता साबित करने के लिए हर किसी को अपने दस्तावेज दिखाने होंगे. बहुत से लोगों के पास दस्तावेज नहीं होंगे या उन्हें वो हासिल नहीं कर पाएंगे. अगर दस्तावेज हैं भी तो इसके लिए लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने होंगे. इससे वो प्रताड़ित होंगे, भ्रष्टाचार बढ़ेगा व अन्य कई तकलीफें पैदा होंगी. 20 करोड़ लोगों के पास अपना घर नहीं है, वो लोग अपनी नागरिकता कैसे साबित करेंगे.’