अभी-अभी : एक लाख से अधिक वोटों से जीते प्रिंस कुमार, हार गए कांग्रेस उम्मीदवार अशोक राम

बिहार में समस्तीपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव की मतगणना जारी है. इसमें एनडीए की ओर से एलजेपी के प्रिंस राज (Prince Raj) करीब 54 हजार मतों से आगे चल रहे हैं. दूसरे स्‍थान पर चल रहे महागठबंधन (Grand Alliance) के कांग्रेस (Congress) प्रत्याशी डॉ अशोक कुमार (Ashok Kumar) उनसे काफी पीछे रह गए हैं. राजनीतिक जानकार इसे एक बड़ी और निर्णायक लीड बता रहे हैं और प्रिंस की जीत सुनिश्चित मान रहे हैं. जाहिर है बीते दिनों विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहे एनडीए के लिए भी ये सुकून भरी बात साबित होने वाली है.

11वें राउंड की काउंटिंग समाप्त होने के बाद प्रिंस राज को 2 लाख 10 हजार से अधिक मत मिले थे जबकि कांग्रेस के डॉ अशोक कुमार को 1 लाख 56 हजार से कुछ अधिक वोट मिले थे. अब सवाल ये है कि आखिर क्या वजह रही जो लोगों ने युवा प्रिंस राज पर भरोसा जताया है. दरअसल इसके कई राजनीतिक-सामाजिक कारण सामने आ रहे हैं.

1977 में इस सीट से बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर भी सांसद रह चुके हैं. इसके बाद से यह लगातार सामाजिक समीकरणों की प्रयोगभूमि के तौर पर भी जानी जाती रही है. कांग्रेस का वर्चस्व खत्म होने के साथ ही यहां जनता दल, आरजेडी, जेडीयू के बाद एलजेपी का कब्जा रहा है. वर्ष 2014 में यहां से केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने छोटे भाई रामचंद्र पासवान को जीत दिलाई थी. इस वजह से ये उनके लिए प्रतिष्‍ठा की सीट बन गई थी. प्रिंस राज की जीत से एलजेपी अपना गढ़ बचा पाने में कामयाब हो जाएगी.

रामविलास पासवान के छोटे भाई और एलजेपी सांसद रामचंद्र पासवान के निधन के कारण खाली हुई इस सीट पर पार्टी ने उनके पुत्र प्रिंस राज को टिकट दिया. रामचंद्र पासवान की असामयिक मौत से युवा प्रिंस राज को लेकर लोगों के मन में एक तरह से सहानुभूति भी दिखी. प्रिंस राज की जीत की राह आसान इसलिए भी आसान होती चली गई.

बीते 17 सितंबर से जब सीएम नीतीश कुमार ने बिहार में चुनाव अभियान की शुरुआत की तो यहां उनके अलावा डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी एवं रामविलास पासवान एक साथ मंच पर नजर आए. जाहिर है तमाम विपरीत बातों के बीच यहां एनडीए पूरी तरह एकजुट दिखा और जनता में इसका अच्छा मैसेज गया.

उपचुनाव में महागठबंधन के नेताओं के प्रचार में आपसी मतभेद दिखा और समन्वय की कमी भी दिखी. बता दें कि महागठबंधन में तेजस्वी के नेतृत्व क्षमता को लेकर कांग्रेस ने भी सवाल उठाए थे. हालांकि इसके बाद भी 19 अक्टूबर को तेजस्वी यादव ने कांग्रेस के डॉ अशोक कुमार के लिए चुनाव प्रचार किया, लेकिन यह जगजाहिर रहा कि जमीन पर आरजेडी के कार्यकर्ता अशोक राम के साथ नहीं दिखे.

प्रिंस राज की जीत के पीछे एक अहम कारण उनका फ्रेश चेहरा होना भी रहा. दरअसल युवा प्रिंस राज अब तक किसी विवाद में भी नहीं रहे हैं और वे जहां भी गए अपने सभ्य और अनुशासित व्यवहार से लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया. उनके साथ चिराग पासवान ने भी कंधे से कंधा मिलाकर चुनाव प्रचार किया जिसका असर मतदाताओं के मिजाज पर स्पष्ट रूप से पड़ा.

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