पूजा में पत्नी की उपस्थिति अनिवार्य है, अश्वमेध यज्ञ में सीता की मूर्ति बनवा कर बैठे थे राम

पूजा में तो जोड़े से बैठते है, पत्नी की उपस्थिति अनिवार्य है, अश्वमेध यज्ञ में सीता की मूर्ति बनवा कर बैठे थे राम

मेरी पत्नी का कहना है कि पूजा में तो जोड़े से बैठते है, पत्नी की उपस्थिति अनिवार्य होती है श्रीराम स्वंय अश्वमेध यज्ञ में बैठे थे तो सीता की सोने की मूर्ति बनवा कर बैठे थे। ऐसे में सवाल उठता है कि जब अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन पीएम मोदी कर रहे थे तब उनकी पत्नी कहां थी, उन्हें इस पूजा में शामिल क्यों नहीं किया गया। पूजा-पाठ से जुड़ी एक परंपरा ये है कि पति-पत्नी को एक साथ पूजन कर्म करना चाहिए। पति या पत्नी अकेले पूजा-अर्चना करते हैं तो उसका अधिक महत्व नहीं माना गया है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं। मनीष शर्मा के अनुसार पति-पत्नी को एक साथ पूजा-पाठ और तीर्थ यात्रा करनी चाहिए। इस बात का ध्यान रखने से अक्षय पुण्य बढ़ता है और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

PM मोदी बोले- राम सबके हैं, सब में हैं, राममंदिर अनंतकाल तक मानवता को प्रेरणा देगा : अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर के लिए बुधवार को पीएम मोदी ने भूमि पूजन किया। भूमि पूजन के दौरान पीएम मोदी ने राम मंदिर के निर्माण के लिए आधारशिला रखी। भूमि पूजन कार्यक्रम के बाद पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित किया। पीएम मोदी ने अपना संबोधन जय सिया राम के नारे के साथ शुरू किया। पीएम मोदी ने पूरे विश्व के रामभक्तों को कोटि-कोटि बधाई दी।

पीएम मोदी ने कहा, “ये मेरा सौभाग्य है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मुझे आमंत्रित किया, इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने का अवसर दिया। मैं इसके लिए हृदय पूर्वक श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का आभार व्यक्त करता हूं। बरसों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे हमारे रामलला के लिए अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा। टूटना और फिर उठ खड़ा होना, सदियों से चल रहे इस व्यतिक्रम से रामजन्मभूमि आज मुक्त हो गई है। पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है।”

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के समय कई-कई पीढ़ियों ने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया था। गुलामी के कालखंड में कोई ऐसा समय नहीं था जब आजादी के लिए आंदोलन न चला हो, देश का कोई भूभाग ऐसा नहीं था जहां आजादी के लिए बलिदान न दिया गया हो।”

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