28 सितंबर से शुरू हो रहा पितृ पक्ष मेला, पुनपुन में पिंडदान करने पहले दिन आएंगे एक लाख श्रद्धालु
पितृपक्ष मेला 28 से, पहले दिन एक लाख श्रद्धालु आएंगे :
पितृपक्ष के दौरान पुनपुन में पिंडदान के लिए प्रशासनिक तैयारियां तेज हो गई हैं। 28 सितंबर से पितृपक्ष मेला 14 अक्टूबर तक चलेगा। पुनपुन नदी में मुख्य रूप से चार घाटों पर पिंडदान होगा। पहले दिन लगभग एक लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। वहीं रोजाना लगभग 40 हजार लोगों के आने की उम्मीद है।
अधिकारियों के मुताबिक पूरे भारत से यहां पिंडदान के लिए लोग यहां आते हैं। साथ ही नेपाल, भूटान, तिब्बत, श्रीलंका जैसे देशों समेत अप्रवासी भारतीय भी यहां पहुंचते हैं। पटना से पुनपुन जाने के क्रम में कई जगहों पर सड़क खराब है। 27 सितंबर तक सड़कों की मरम्मत कर ली जाएगी। इसके अलावा पिंडदान या पूजास्थल की भी सड़क अगले दो दिनों में बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
चौबीस घंटे मेले में मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारियों की तैनाती रहेगी। मेले के दौरान पुनपुन रेलवे स्टेशन एवं नदी घाट रेलवे हॉल्ट पर सभी ट्रेनों का ठहराव होगा। डीएम ने रेल प्रशासन को इसके लिए अनुरोध किया है। देश-विदेश से श्रद्धालुओं के साथ पर्यटक भी आते हैं। यहां अस्थायी पर्यटन स्टॉल एवं पर्यटक सहायता सह सुविधा केन्द्र पर्यटन विभाग बना रहा है। पुनपुन अंतरराष्ट्रीय प्रथम पिंडदान स्थल पर निर्मित शहीद रामानंद सिंह एवं रामगोविन्द सिंह स्मृति पार्क, यात्री शेड एवं नदी घाट का मरम्मतीकरण तथा रंग-रोगन कार्य भी किया जा रहा है। पेयजल का भी बेहतर इंतजाम होगा।
पुनपुन एक प्राचीन पुनीत तीर्थ धाम है। यहां देश-विदेश से लाखों तीर्थ यात्री और पर्यटक पुनपुन नदी में पिंडदान करने पहुंचते हैं। अपने पितरों की आत्मा की चिरशांति के लिए पिंडदान एवं तर्पण करते हैं। पुनपुन नदी को आदि गंगा भी कहा गया है। मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष अवधि में पहला पिंडदान पुनपुन नदी के ही तट पर किया जाता रहा है। इसीलिए इस स्थान को प्रथम अंतरराष्ट्रीय पिंडदान स्थल के नाम से जाना जाता है। इसके बाद श्रद्धालु गया में पिंडदान व तर्पण करते हैं।
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