PVT अस्पतालों की बिहार में नहीं चलेगी मनमानी, सरकार ने कहा- ठीक से काम करो, अंजाम बहुत बुरा होगा
निजी अस्पतालों में सरकारी से दोगुने बेड, इनमें अभी सामान्य इलाज भी बंद
कोरोना संक्रमण रोकने को लॉकडाउन हुआ तो ज्यादातर प्राइवेट क्लीनिक,हॉस्पिटल व नर्सिंग होम पर ताला लटक गया। कुछ दिनों तक सरकारी अस्पतालों भी ओपीडी बंद हुई। जब सरकारी अस्पताओं की ओपीडी खोलने का आदेश हुआ तब भी निजी अस्पताल नहीं खुले। नतीजा हुआ कि आम आदमी छोटी-मोटी बीमारियों के इलाज तक के लिए मोहताज हो गया। जरूरतमंद लोगों ने डॉक्टरों से फोन पर दवाइयां पूछीं, लेकिन दवा दुकानदार बिना डॉक्टर की पर्ची के दवा देने से इनकार करने लगे। यह स्थिति तब है जबकि राज्य के सरकारी अस्पतालों (22 हजार) की तुलना में निजी अस्पताओं में दोगुने से अधिक (48 हजार) बेड हैं। आम दिनों में 90% ओपीडी में मरीज प्राइवेट क्लीनिक, हॉस्पिटल व नर्सिंग होम ही देखते हैं। हेल्थ इंश्योरेंस कराने वालों का इलाज यही करते हैं।
निजी अस्पतालों के रवैये को देखते हुए राज्य सरकार को सोमवार को कड़ा आदेश जारी करना पड़ा। कड़े शब्दों में कहना पड़ा है कि अस्पताल खोलें, सेवाएं शुरू करें अन्यथा अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहें। यह आदेश स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार की ओर से जारी हुआ है। कहा गया है कि इसका पालन नहीं करने वाले प्राइवेट क्लीनिक, हॉस्पिटल व नर्सिंग चलाने वाले डॉक्टरों पर महामारी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस आदेश के 24 घंटे के अंदर डॉक्टरों को क्लीनिक, हॉस्पिटल व नर्सिंग चालू करने की सूचना संबंधित सिविल सर्जन को देनी होगी। प्रधान सचिव ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की राज्य इकाई के माध्यम से भी डॉक्टरों से निजी क्लीनिक खोलने की अपील की है।
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने रविवार को राज्य में प्राइवेट और सरकारी हॉस्पिटलों की तुलना की थी। टिप्पणी की थी कि संकट की घड़ी में चिकित्सा जगत से जुड़े राज्य के प्राइवेट सेक्टर के लोग अपने दायित्वों के निर्वहन से पीछे हट गए हैं। सरकारी अस्पताल ही कोविड-19 की जांच रोकथाम और उपचार में सबसे आगे है। यह भविष्य के लिए क्या दर्शाता है। सिर्फ मुनाफे का बंटवारा ! स्वास्थ्य सेवा के रिस्क उठाने की क्षमता के बारे में प्राइवेट क्लीनिक,हॉस्पिटल व नर्सिंग होम क्या कहना है? और स्वास्थ्य बीमा कहां जाता है?
आईएमए के राज्य सचिव डॉ.सुनील कुमार ने कहा कि राज्य के डॉक्टर भी सरकार को हर संभव मदद करने को तैयार है। कर भी रहे हैं।लेकिन कोरोना को लेकर एक डर सबके मन में है। पीपीई जैसी सुरक्षा किट का घोर अभाव है। बाजार में भी नहीं मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने पीपीई किट को पीएचसी में पहुंचा दिया है, लेकिन उसका वहां क्या उपयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि आईएमए के सदस्य लगातार काम क रहे हैं। सरकार को डॉक्टरों की सुरक्षा के बारे में भी सोचना चाहिए।
प्रधान सचिव के आदेश में कहा गया है कि डॉक्टरों को इन्फ्लूएंजा व सांस संबंधी मरीजों की स्क्रीनिंग करनी होगी। इसकी जानकारी संबंधित जिला के सिविल सर्जन को देनी होगी। डॉक्टरों को कोविड-19 को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी प्रोटोकॉल का भी पालन करना होगा।