बिहार में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी, 30,000 सैलरी वाले बच्चों को पढ़ाने का सपना ना देखें
राजधानी पटना सहित पूरे बिहार में एक बार फिर से प्राइवेट स्कूल मालिकों की मनमानी शुरू हो चुकी है. एक बार फिर से एडमिशन सहित मंथली फीस में जबरदस्त इजाफा होने जा रहा है. आसान भाषा में कहा जाए तो अगर आप की मासिक सैलरी 30 से ₹35000 है तो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का सपना ना देखें. क्योंकि अभिया असंभव सा होने जा रहा है. राजधानी पटना की बात करें तो नॉर्मल से नॉर्मल स्कूल का मासिक खर्चा 5 से ₹10000 आ रहा है.
एक अभिभावक ने बताया कि पहले पटना में जो गरीब लोग होते थे वह अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजते थे लेकिन अगर वर्तमान समय की बात करें तो 30 से 35 हजार मंथली कमाने वाले आदमी भी अब प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चे को नहीं पढ़ा सकता है. इसके पीछे का कारण है कि स्कूल मालिकों द्वारा हर साल एडमिशन और मंथली फीस में जबरदस्त इजाफा किया जा रहा है. बिहार सरकार कानून बनाने की बात तो करती है लेकिन इस और कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
इस बार भी स्कूलों की ओर से ट्यूशन फीस के साथ तमाम मद में फीस बढ़ायी जा रही है। जहां मिशनरी स्कूलों में तीन से छह फीसदी तक फीस बढ़ेगी, वहीं नामी स्कूलों से लेकर सामान्य निजी स्कूलों की ओर से सात से 25 फीसदी तक ट्यूशन फीस बढ़ायी जाएगी। इसकी तैयारी स्कूलों ने शुरू कर दी है। वार्षिक परीक्षा के बाद नामांकन के समय अभिभावकों को बढ़ी हुई फीस की जानकारी दी जायेगी।
पटना में तीन स्तर के स्कूल
1. नामी या ब्रांडेड स्कूलयहां पर ट्यूशन फीस, परिवहन फीस के साथ तमाम मदों को जोड़ दिया जाए तो एक बच्चे पर 16 से 17 हजार रुपये प्रतिमाह खर्च आता है।
2. सामान्य श्रेणी के निजी स्कूल इन स्कूलों में वही अभिभावक बच्चे का नामांकन करवाते हैं, जिनके बच्चे मिशनरी में नहीं जा पाते हैं। ऐसे स्कूल में पढ़ाने के लिए अभिभावक को एक बच्चे पर आठ से नौ हजार का खर्च आता है।
3. मिशनरी और एंग्लो इंडियन इनकी संख्या राजधानी में कम है। यहां पर नामांकन के लिए बच्चों की लाइन लगी रहती है। इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए एक बच्चे पर पांच से छह हजार रुपये प्रति माह का खर्च आता है।
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