राम मंदिर प्रकरण में सच से परे है सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई, जानिए कब क्या हुआ

राम मंदिर की ये टाइमलाइन इस ‘न्याय’ पर ख़ुद ही कुछ कहती है:

1. 16वीं सदी तक विवादास्पद स्थल पर क्या था, इसका कोई पुख़्ता सबूत नहीं. मान्यताओं से इतर असल में कोई राम मंदिर था या नहीं, एएसआई के दस्तावेज़ों के आधार पर भी नहीं कहा जा सकता.

2. 16वीं सदी में मस्जिद का निर्माण हुआ जिसे बाबरी मस्जिद नाम से जाना गया.

3. 19वीं सदी तक इस स्थल पर हिंदू-मुस्लिम दोनों जाते थे. मस्जिद के गुंबद के नीचे मुस्लिम नमाज़ पढ़ते थे और पास के ही चबूतरे पर हिंदू पूजा करते थे. इसे राम चबूतरा कहा जाता था और माना जाता था कि यही राम जन्म स्थल है.

4. 1885 में हिंदुओं ने मांग की कि इस चबूतरे वाली जगह पर राम मंदिर बनाने की अनुमति मिले. मामला कोर्ट गया. कोर्ट ने इस मांग को आधारहीन मानते हुए ख़ारिज कर दिया और कहा मस्जिद परिसर में कोई मंदिर नहीं बनेगा.

5. 1949 में एक रात कुछ लोगों ने ठीक मस्जिद के गुंबद के नीचे मूर्ति रख दी. अगले दिन हल्ला मच गया कि ‘राम लला ख़ुद प्रकट हो गए.’ इसके बाद राम जन्म स्थल चबूतरे की जगह गुंबद के नीचे बताया जाने लगा, जहाँ मूर्ति रखी गई थी.

6. 1992 में उन्मादी भीड़ ने पूरी मस्जिद ही गिरा दी. चबूतरे से लेकर गुंबद तक, सब समतल कर दिया गया. मंदिर आंदोलन के नाम पर राजनीति करने वालों के अच्छे दिन यहां से शुरू हो गए.

7. 2019 में ‘मंदिर वहीं बनाएँगे’ का उग्र और अहंकारी नारा देने वाली पार्टी दूसरी बार बहुमत से सत्ता में आई. इसी साल देश की सर्वोच्च अदालत के पाँच जजों ने मिलकर एकमत से फ़ैसला सुना दिया कि विवादित स्थल हिंदुओं को मिलना चाहिए, वहां राम मंदिर बने. मस्जिद अब कहीं और बना लो.

नोट: बाबरी मस्जिद का निर्माण राम मंदिर तोड़ कर हुआ था या नहीं, ये कोर्ट भी तय नहीं कर सका. लेकिन उसने ये सुनिश्चित कर दिया कि राम मंदिर का निर्माण वहीं होगा जहाँ मस्जिद तोड़ी गई थी.तो बोलो #जयश्रीराम

-Rahul kotiyal

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