मोदी जी को राहुल गांधी से सीखना चाहिए, बंद कमरों में मन की बात से देश नहीं चल सकता


कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रवासी मजदूरों से मुलाकात की है. कांग्रेस नेता ने शनिवार को दिल्ली के सुखदेव विहार फ्लाईओवर के पास मजदूरों से मुलाकात की. राहुल गांधी ने फुटपाथ पर बैठकर उनसे बातचीत की और उनकी समस्याएं जानी. उन्होंने भारतीय युवा कांग्रेस और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी से दिल्ली में फंसे प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित घर वापसी की व्यवस्था करने को कहा है.

राहुल गांधी की मजदूरों से मुलाकात पर कांग्रेस ने ट्वीट किया कि लोगों के दर्द को केवल वहीं नेता समझ सकते हैं जो उनका ध्यान रखते हैं. कांग्रेस ने साथ ही पार्टी के पूर्व अध्यक्ष की मजदूरों से मुलाकात की फोटो को भी साझा किया. एक प्रवासी मजदूर देवेंद्र ने बताया कि राहुल गांधी कुछ देर पहले हमसे मिलने आए थे. उन्होंने घर जाने के लिए हमारे लिए गाड़ी बुक की और कहा कि वे हमें घर तक छोड़ेंगे. उन्होंने हमें खाना, पानी और मास्क भी दिया.

इस पूरे मसले पर वरिष्ठ पत्रकार पुष्य मित्र ने बड़े ही संजीदे लहजे में अपनी बातों को रखा है।

उन्होंने लिखा, राहुल गांधी अपने एक्शन से मोदी को रास्ता दिखा रहे हैं। पहले उन्होंने पत्रकारों के साथ बातचीत की, फिर सड़क पर उतर कर मजदूरों के साथ बातचीत की। हमसब जानते हैं संकट के वक़्त में पीएम को मीडिया का सामना करना चाहिए और सबसे दुःखी लोगों से मिलकर उनकी मुसीबतों को समझना चाहिये।

मगर दुर्भाग्य से मोदी ने अपने 6 साल के कार्यकाल में एक बार भी प्रेस कॉन्फ्रेंस का सामना नहीं किया। गरीबों क्या आमलोगों के साथ भी कम इतने सहज नहीं दिखे। अमूमन वे अपने कारोबारी मित्रों के साथ सहज दिखते हैं। उनकी पीठ पर नीता अंबानी का हाथ वाली तस्वीर कौन भूल सकता है। जब पिछले साल चमकी बुखार से बच्चे मर रहे थे तो वे शिखर धवन के अनूठे की फिक्र कर रहे थे।

राहुल के आज के दोनों कदम किसी भी समझदार सत्ताधारी के लिये इशारा हो सकते हैं। वातानुकूलित भवनों में बैठकर अपने मन की बात करना सबसे बकवास बात है। आप पीएम हैं तो इस तरह जाकर लोगों से उनके मन की बात सुननी चाहिये। सवालों का सामना करना चाहिये।

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