Patna, 9 march 2025 : क्या कांग्रेस ने कर ली है बिहार में एकला चलो की तैयारी, कन्हैया को राहुल देंगे नई जिम्मेवारी, क्या इस बार तेजस्वी पर कांग्रेस पड़ेगी भारी
बिहार विधान सभा का चुनाव होने में भले ही अभी 6 माह से ज्यादा है लेकिन राजनीतिक दलों ने चुनावी महाभारत के फतह हासिल करने के लिए अपना मोहरा चलना शुरू कर दिया है ।भले ही वह मोहरा उनके गठबंधन दलों के लिए ही नुकसान देह क्यों न हो ।

बिहार में राजनीतिक वेंटिलेटर पर कराह रही कांग्रेस में नई जान फूंकने में विफल रही कांग्रेस ने अब पुराने कांग्रेसी मठाधीश के बदले युवाओं के हाथ में नेतृत्व देने का मन बनाया है और इसके लिए राहुल गांधी ने बिहार के लिए पूरी तरह से प्लान तय कर लिया है ।पिछले यानि 2020 के विधान सभा चुनाव में भले ही कांग्रेस को 70 सीटें गिनती के लायक मिली हों लेकिन हकीकत यह है कि अधिकांश सीटों पर कांग्रेस क्या गठबंधन के किसी दल के पास उपयुक्त उम्मीदवार नहीं था ।कांग्रेस नेताओं के अंदरखाने में तो चर्चा है कि तत्कालीन नेतृत्व ने राजद सुप्रीमों से आर्थिक सहयोग लेकर पूरी पार्टी को ही उनकी झोली में डाल दिया ।लोक सभा चुनाव का हश्र तो सबने देखा ही ।कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर को एक अदद टिकट के लिए नाक रगड़ना पड़ा तो जिस उम्मीद से पप्पू यादव कांग्रेस का हाथ थामे थे उस हाथ का साथ उन्हें नहीं मिला और निर्दलीय ही अपनी किस्मत आजमानी पड़ी ।
इसकी बानगी आप राहुल गांधी के गुजरात में दिए गए बयानों को देख सकते है ।जिसमें उन्होंने कहा है की कांग्रेस के अंदर जो बीजेपी के नेता हैं उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना जरूरी है ।यह बात राहुल गांधी ने ऐसे नहीं बोला है ।कांग्रेस आलाकमान को यह जानकारी मिली है कि जिन्हें गुजरात चुनाव की जिम्मेवारी दी गई थी उन्होंने ही बीजेपी से भारी आर्थिक लाभ आरोप तो करीब 300 करोड़ का है हकीकत अल्लाह जाने ।

अपने पुराने अनुभवों से सीख लेते हुए कांग्रेस ने दिल्ली के बाद अब बिहार पर फोकस किया है ।यही वजह है कि सोमवार 10 मार्च को ए न एस यू आई के राष्ट्रीय प्रभारी और राहुल गांधी के कोर कमिटी के सदस्य कन्हैया कुमार पटना आ रहे है ।सदाकत आश्रम में एन ए स यू आई और यूथ कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात के बाद कन्हैया 16 मार्च से पूरे बिहार का दौरा करेंगे और युवाओं को अपने साथ जोड़ने का अभियान भी चलाएंगे ।मतलब साफ है बेरोजगारी नौकरी पलायन जैसे मुद्दों को लेकर कन्हैया बिहार के युवाओं को कांग्रेस की तरफ जोड़ने और बिहार में कोटिश: मोदी सरकार की बखिया उधेड़ने की कोशिश करेंगे । उनका साथ पूर्णिया सांसद पप्पू यादव भी देंगे ।
अब सवाल उठता है कि आखि़र कांग्रेस अलग क्यों अपना रास्ता तय कर रही है। कांग्रेस नेताओं की माने तो बिहार में कांग्रेस को अपने पैर पर खड़ा होने का असली मौका है जब वह परिवारबाद , भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता के खिलाफ खड़ा हो सके । कांग्रेस मान रही है कि राजद के साथ खड़ा होने से जहां उसका राजनीतिक नुकसान हो रहा है वहीं राजद भी उसे कमजोर बनाने पर तुली हुईं है । शायद 1990 के बाद यह पहला मौका है जब राजद के माय समीकरण में मुस्लिम का जुड़ाव फिर से कांग्रेस से हुआ है । दलितों के मुद्दे ख़ासकर भीम राव अम्बेडकर के मुद्दे पर राहुल ने जो स्टैंड लिया और बिहार की जातीय गणना को फर्जी करार देकर पूरे देश मे नए सिरे से गणना कराने के ऐलान और बीजेपी से सीधा टकराव लेकर राहुल ने बीजेपी विरोधी मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित किया है ।

बिहार के जातीय समीकरण में अगर कांग्रेस को कुछ भी लाभ मिलता है तो उसकी राजनीतिक जमीन मजबूत होती है ।इसके साथ ही राजद से सीटों के तालमेल पर भी मजबूती से अपना पक्ष रख सकती है । शायद यही वजह है कि कांग्रेस के नए प्रभारी ने अभी तक लालू दर्शन करना तो छोड़ मोबाइल से भी बात नहीं की है । साथ ही कन्हैया को आगे कर राहुल की टीम ने लालू तेजस्वी के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है ।जिसे राजनीतिक वनवास भेजने के लिए लालू ने 2019 के चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ी थी वह कन्हैया अगर बिहार में घूमेंगे और सीट शेयरिंग पर लालू तेजस्वी से बात करेंगे तो समझ सकते है कि क्या होगा । फिलहाल कह सकते है कि कांग्रेस ने कन्हैया जैसे घोड़े को चुनावी मैदान ने छोड़ने का मन बना लिया है । यह घोड़ा रेस में कितना दौड़ता है यह देखना दिलचस्प होगा ।
लेखक : अशोक कुमार मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार