क्या लाल बहादुर शास्त्री और नीतीश कुमार की तरह हादसे के बाद इस्तीफा देंगे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव

पढ़ने लिखने से अगर आदमी के अंदर नैतिकता आती तो रेलमंत्री से ज्यादा पढा लिखा कौन हैं? नीतीश कुमार की आलोचना करने से पहले उन्हें नीतीश कुमार की तरह पद छोड़ देना चाहिए. ये पढ़े लिखे लोग दरअसल सबसे ज्यादा अनैतिक होते हैं. रेल को बर्बाद कर के रख दिया. सिर्फ सम्पत्ति बेच रहे हैं….

1956 में महबूबनगर रेल हादसे में 112 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने पद से इस्तीफा दे दिया था, हालांकि इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने स्वीकार नहीं किया। इस हादसे के 3 महीने बाद ही अरियालूर रेल दुर्घटना में 114 लोगों की मौत हो गई थी जिसके बाद शास्त्री ने फिर इस्तीफा दे दिया। इस बार नेहरू ने इस्तीफा स्वीकारते हुए संसद में कहा कि वह इस्तीफा इसलिए स्वीकार कर रहे हैं ताकि यह एक नजीर बने इसलिए नहीं कि हादसे के लिए किसी भी रूप में शास्त्री जिम्मेदार हैं।

बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में रेलमंत्री रहते हुए इस्तीफा दिया था। 1999 में गैसाल ट्रेन हादसे में करीब 290 लोगों की मौत हुई थी। इस घटना से आहत नीतीश ने हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। वाजपेयी के ही कार्यकाल में एनडीए की रेलमंत्री ममता बनर्जी ने भी दो रेल हादसों की नैतिक जिम्मेदारी लेकर 2000 में इस्तीफा दिया था। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया था।

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