सांसदों की ट्रेन यात्रा पर मोदी सरकार ने खर्च किया 62 करोड़ रुपए, खुलेआम हो रहा सरकारी धन का दुरुपयोग

विगत 5 वर्षों में सांसदों और पूर्व सांसदों की ट्रेन यात्रा पर सरकारी कोष से 62 करोड़ रुपए खर्च किए गए। सांसदों पर 35.21 करोड़ और पूर्व सांसदों पर 26.82 करोड़। यह आंकड़ा वर्ष 2017-18 से 21-22 तक का है। यह सरकारी धन का सदुपयोग है या दुरुपयोग? कोरोना काल में ट्रेन यात्रा में सभी तरह की सब्सिडी बंद कर दी गई पर सांसदों, विधायकों की जारी रही। क्या यह उचित है?

बताते चलें कि रेलवे ने बुजुर्गों को टिकट में दी जाने वाली रियायत अब हमेशा के लिए खत्म कर दी है. हवाला ये दिया गया कि बुजुर्गों को दी जाने वाली इस सुविधा से रेलवे को अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा था. मालूम हो कि 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों को रेलवे किराया भाड़ा में 40% और 58 साल से ऊपर की महिला को 50% की छूट मिलती थी जिसे कोविड के दौरान बंद कर दिया गया. अब जबकि कोरोना जैसी महामारी से देश उबर गया है तब भी ये सुविधा पुनःलागू नहीं की गई. और अब हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है. 

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसका हिसाब देते हुए बताया है कि इस रियायत से रेलवे को हर साल कितना नुकसान हुआ. 2021-22 में यह छूट बुजुर्गों को न देने से रेलवे को 3400 करोड़ रु. का फायदा हुआ. ऐसी सुविधाएं जो केवल परम्परा के चलते दी जा रही थी, अब नफा-नुकसान के बढ़ते दौर में बंद होनी ही चाहिए. 

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