मुंबई की बारिश में फसे है बिहार के दर्जनों परिवार, भागने का भी नहीं मिल रहा था कोई रास्ता

Patna:हर साल बारिश के मौसम में मुंबई को मुसीबत की मार झेलनी पड़ती है। पूरा शहर थम जाता है और लोगों को जलभराव से जूझना पड़ता है। इस साल का भी नजारा कुछ ऐसा ही है जहां मुंबई में लोगों का रहना मुश्किल हो गया है। भागने का भी कोई रास्ता नहीं मिल रहा था। तीन दिन के इंतजार के बाद पानी कुछ कम होने पर किसी तरह सामान लेकर घर से निकल स्टेशन पहुंचे तब जान में जान आयी। यह कहना था मुंबई की आफत वाली बारिश से जगह-जगह जलजमाव में फंसे लोगों का, जो पवन एक्सप्रेस से गुरुवार की रात समस्तीपुर जंक्शन पर उतरे थे।

मुंबई से दरभंगा तक जाने वाली ट्रेन से गुरुवार रात 8.53 बजे समस्तीपुर पहुंचे मधुबनी और दरभंगा के लोगों ने यह दर्दनाक कहानी सुनायी। यह टे्रन भी करीब तीस घंटे विलंब से समस्तीपुर पहुंची थी, लेकिन उन्हें खुुशी इस बात की थी कि किसी तरह अपने घर सुरक्षित तो पहुंच रहे हैं। मधुबनी जिले के रहिका प्रखंड के मनियार गांव के रामजी ने बताया कि वह मुंबई के भिवंडी में रहता था। जहां बारिश के पानी से पूरा इलाका डूब चुका था। कहीं निकलना मुश्किल था। होटल में बावर्ची का काम करने वाले रामजी ने बताया कि तीन दिनों तक उसे खाने के लिए कुछ नहीं मिला। कोई सरकारी सहायता भी नहीं पहुंचायी गयी। वह जान बचाने के लिए पानी कम होने का इंतजार कर रहा था। जैसे ही पानी कुछ कम हुआ वह सामान लेकर भागा। लेकिन रास्ते में उसे कमर भर पानी हेलना पड़ा।

इसी तरह मधुबनी के सिरोपाछी निवासी शिव कुमार राम ने बताया कि वह भी भिवंडी के खारीबार में रहता था। इलाके में कमर से उपर पानी था। वह मुंबई में मजदूरी करता था। लगातार बारिश के कारण बाजार भी बंद था जिससे वह खाने के लिए लालायित था।

मधुबनी के अंधराठाढ़ी के रामफल ने बताया कि अंधेरी बेस्ट के लोखंडवाला में रहता था। बारिश के पानी से इलाके में सभी घर जलमग्न हो चुके थे। कहीं आने-जाने का भी रास्ता नहीं था। भूख से बिलबिलाने के बाद किसी तरह स्टेशन आकर घर आने के लिए ट्रेन पकड़ी। टे्रन में कुछ खाया भी। इसी तरह थाणे से भाग कर आये समस्तीपुर जिला के शिवाजीनगर के योगेन्द्र साहू, मुंबई के रानीरोड से आये मधुबनी के रामफल, मुंबई के कुर्ला के भूसारा से आये दरभंगा के भरवारा के सलीम खान ने भी बारिश से आफत की कहनी सुनायी। इन लोगों का दर्द था कि स्टेशन आने में भी उन्हें कष्ट उठना पड़ा। लोकल टे्रनों का परिचालन तो बंद था ही कोई रिक्शा या ऑटो भी नहीं चल रही थी। सामान लेकर स्टेशन पहुंचने में भी मुसीबत हुई।

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