राजेन्द्र बाबू का अपमान, जयंती मनाने से मोदी सरकार का इनकार, कहा-2034 में सोचेंगे

प्रथम राष्ट्रपति डाॅ. राजेंद्र प्रसाद की पौत्री डाॅ. तारा सिन्हा ने अाराेप लगाया कि केंद्र देशरत्न का अपमान कर रहा है। शुक्रवार को बिहार विद्यापीठ में पत्रकाराें से बातचीत में कहा कि डाॅ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती को राष्ट्रीय दिवस मनाने की मांग को लेकर महिला चरखा समिति द्वारा पत्र लिखा गया था।

मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर के स्पेशल सेल से जवाब आया है कि राजेंद्र बाबू की 150वीं जयंती 2034 में है। उसे मनाने पर विचार किया जाएगा। लेकिन, अभी समारोह मनाने की केंद्र की कोई योजना नहीं है। ऐसा कह कर महामानव का अपमान किया गया है। जब तक सरकार हमारे अनुरोध को स्वीकार कर 3 दिसंबर को राष्ट्रीय दिवस घोषित नहीं करती है, हम आंदोलन जारी रखेंगे। इस पत्र को यूट्यूब, फेसबुक सहित अन्य माध्यम से देश भर में पहुंचाएंगे।

उन्हाेंने कहा कि पटना में जब उनका निधन हुअा ताे तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने उनकी अंत्येष्टि में शामिल होना जरूरी नहीं समझा। निधन के कई साल बाद बांसघाट की सीढ़ियाें के ऊपर के स्थान पर समाधि का निर्माण किया गया। शुरुआत से ही रखरखाव के प्रति उपेक्षा बरती गई। 2009 में 125वीं जयंती पर राज्य सरकार ने समारोह किया, पर केंद्र ने कुछ नहीं किया जबकि बिहार विद्यापीठ में 1921 से 1946 तक उनका स्थायी निवास रहा। मौके पर बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष सेवानिवृत्त अाईएएस विजय प्रकाश भी मौजूद थे।

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