तेजस्वी की गर्भवती पत्नी राज श्री की बिगड़ी तबीयत, हुई बेहोश, हॉस्पिटल में करवाया गया एडमिट

तेजस्वी यादव की गर्भवती पत्नी को पूछताछ के नाम पर 15 घंटे प्रताड़ित किया गया। इस दौरान वे बेहोश हो गईं, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इतनी ​नैतिकता तो चंबल के डकैतों में भी होती थी कि वे बच्चों और स्त्रियों को नहीं छूते थे। यह कैसे कसाइयों का राज आ गया है कि अब गर्भवती मांएं राजनीतिक बदले का शिकार हो रही हैं?

लालू प्रसाद यादव की पत्नी, बेटे, बेटी, गर्भव​ती बहू और छोटे बच्चों को जिस तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है, वैसा भारत की राजनीति में तो कभी देखने को नहीं मिला। नेता जेल गए, सजा हुई, लेकिन उनके परिवार को कोई नहीं छूता था। हमारी राजनीति अब बदले की भावना से आगे बढ़कर, सबको मिटा देने के क्रूर विचार पर काम कर रही है।

ईडी जैसी जांच एजेंसी उस दो कौड़ी के लतखोर गुंडे जैसी हो गई है जो जरा जरा से रुपयों के लिए सुपारी लेता है और फिर बाद में लात खाता घूमता है। ईडी के सैंया जी अभी कोतवाल हैं, पर समय सबका हिसाब करता है।

सब विपक्षी पार्टियां एक साथ ईडी के निशाने पर हैं। कांग्रेस से लेकर राजद, तृणमूल, एनसीपी, टीआरएस, आप, शिवसेना समेत हर पार्टी के नेताओं पर छापे पड़ रहे हैं।

पिछले कुछ समय में लगभग सारी विपक्षी पार्टियों या उनके नेताओं पर छापेमारी हुई है। लालू प्रसाद यादव सबसे ज्यादा निशाने पर हैं क्योंकि लालू और नीतीश मिलकर विपक्षी एकता के लिए कुछ खिचड़ी पका रहे हैं। 2024 के चुनाव के पहले सारी छोटी बड़ी पार्टियों पर ताबड़तोड़ छापा कोई संयोग नहीं है। अगर यह भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई होती तो नौ साल तक इंतजार न किया जाता, अब तक सबका हिसाब हो चुका होता। यह भ्रष्टाचार के बहाने सबको मिटाकर विपक्षमुक्त तानाशाही के निर्माण का अभियान चल रहा है।

देश में जिस तरह से विपक्ष को रौंदा जा रहा है, अगर ये सभी दल पार्टी हित को त्यागकर एकजुट होकर मुकाबला नहीं करेंगे तो ये सब खत्म कर दिए जाएंगे। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है। भारत की विपक्षी पार्टियों के पास अपना अस्तित्व और मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था को बचाने का आखिरी मौका है।

आप कहेंगे कि भ्रष्टाचार पर कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए? तो यही सवाल सबसे ज्यादा संदेह पैदा करता है। कथित तौर पर, बड़े बड़े घोटालेबाजों पर सीबीआई ओर ईडी लगाई गई, फिर जैसे वे भाजपा में चले गए, उनके केस बंद हो गए। क्या वे केस झूठे थे या फिर उन्हें तोड़कर अपनी ताकत बढ़ाने के लिए भ्रष्टाचार का बहाना लिया गया?

अगर सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सच में गंभीर है तो ईडी का कन्विक्शन रेट मात्र 0.5 प्रतिशत क्यों है? पूरे देश में ईडी ताबड़तोड़ छापा मार रही है लेकिन सजा किसी को नहीं दिलवा पा रही है? इसका क्या मतलब है? जाहिर है कि विपक्ष के आरोपों में दम है। भाजपा विपक्षमुक्त भारत अभियान चला रही है।

krishnakant

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