बुरा ना मानो होली है । राज तिलक की करो तैयारी , अबकी बार निशांत की बारी । हालांकि रंगों का महापर्व होली के बीते 72 घंटे से ज्यादा हो चुके है लेकिन ग्रामीण अंचलों में पूरे चैत महीने तक होली की खुमारी रहती है ।अगर बिहार के राजनेताओं के बीच होली की प्रतिस्पर्धा हो तो राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव इसमें बाजी मारने वाले पहले राजनेता होंगे ।लालू की कुर्ता फार होली देश ही नहीं विदेशों में भी चर्चित रही है ।फिर अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल और उसके बाद भी अपने आवास पर चैतावर का आयोजन कर लालू ने लोक कलाकारों का सीधा प्रवेश सीएम आवास तक कराया था ।लेकिन पिछले कुछ वर्षों से लालू की होली से खास ही नहीं आम लोग भी वंचित रहे है ।

दूसरी ओर लालू से उलट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की होली बिल्कुल सादगी भरी रही है जिस वजह से यह कभी मीडिया की सुर्खियां नहीं बन पाई ।
लेकिन इस बार सीएम हाउस मीडिया की सुर्खियों में है ।इसकी वजह भी नीतीश नहीं उनके बेटे निशांत है ।अमूमन होली के दिनों में भी CM हाउस में रहते हुए निशांत नेताओं से अलग ही रहे ।लेकिन इस बार सीएम हाउस से निकले अधिकांश नेताओं ने नीतीश से ज्यादा निशांत के साथ तस्वीरें साझा की ।हद तो तब हो गई जब एक तस्वीर ऐसी भी आई जिसमें निशांत का दाहिना हाथ नीतीश कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री विजय कुमार चौधरी के कंधे पर और बायां हाथ जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सांसद संजय झा के कंधे पर है । जिस किसी ने भी इस तस्वीर को देखा लोग भौचक रह गए ।आखिर शालीन दिखने वाले निशांत ने होली के दिन अपने से उम्र ही नहीं एक तरह से पिता के राजनीतिक मित्र रह चुके दोनों नेताओं के कंधे पर कैसे हाथ रखा ।हालांकि इसे लेकर सोशल मीडिया में निशांत की किरकिरी भी हुई।इसके तुरंत बाद जेडीयू पार्टी मुख्यालय पटना में एक बड़ा होर्डिंग भी लगा जिसमें यह लिखा था कि निशांत मान गए ।यानि निशांत ने राजनीति में आने का फैसला कर लिया है और होली के दिन की तस्वीर इसकी झांकी है ।
दरअसल निशांत पिछले फरवरी महीने में सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने मीडिया में एक बयान दिया कि एनडीए के नेताओं को उनके पिताजी को अगले विधान सभा चुनाव में मुख्यमंत्री का प्रत्याशित घोषित कर देना चाहिए और बिहार की जनता को एक मौका और देना चाहिए ।
फिर क्या था जेडीयू नेताओं में निशांत की राजनीति में लाने की मांग करने की होड मच गई ।और जेडीयू क्या तेजस्वी , चिराग ,तेजप्रताप समेत उनके राजनीतिक विरोधियों और समर्थकों ने भी निशांत को राजनीति में आने का समर्थन किया
अमूमन नीतीश से दूर रहनेवाले पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे ने तो निशांत को सीएम के काबिल बतलाया ।
लेकिन इन सब के बाबजूद नीतीश चुप रहे ।लेकिन होली के दिन की तस्वीर साफ बयां कर रही है कि नीतीश के बाद उनकी विरासत निशांत संभालने को तैयार है ।शायद यहीवजह तो नहीं कि होली के दिन जेडीयू के कार्यकर्ताओं को यह संदेश तस्वीर के माध्यम से दे दिया गया ।यानि नीतीश जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष है और पार्टी में नंबर दो की हैसियत संजय झा की है ।जबकि नीतीश कैबिनेट में जेडीयू कोटे से नंबर दो पर विजय चौधरी है।यही पार्टी संगठन हो या सरकार नीतीश के बाद नंबर दो की पीठ पर नीतीश के बाद उनके बेटे का भी हाथ इन दोनो नेताओं के कंधे पर है और जब इन दोनो ने निशांत को बॉस मान लिया तो फिर अन्य नेताओं की क्या हैसियत ।यानि निशांत की धमाके दार एंट्री होने का बस केवल एक औपचारिकता ।
दूसरी बात अगर आगे इस तस्वीर को लेकर नीतीश या जेडीयू को कोई फजीहत होती है जिसकी संभावना नहीं के बराबर है लेकिन अगर होती है जैसा कि जेडीयू एम एल सी भगवान सिंह कुशवाहा का बयान आया है ।तो फिर जेडीयू नेता इसे होली का बहाना देकर चुपचाप निकल जाएंगे ।यानि बुरा न मानो होली है।यानि सियासत का रंग होली से भी ज्यादा गाढ़ा ।होली का रंग बदरंग हो जाए लेकिन क्या मजाल कि सियासत का रंग बदरंग हो
लेखक : अशोक कुमार मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार
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