बिहार में मनता है अनोखा रक्षाबंधन, सात साल पहले शुरू हुई थी नई परम्परा

नेता और स्टेट्समैन में क्या फर्क होता है, ये जानना हो तो तो कोई नीतीश कुमार के कार्यों को देखे। एक अच्छा नेता वर्तमान को संवार सकता है, लेकिन एक स्टेट्समैन आने वाली पीढ़ियों के लिए सोचता है। विज़न दोनों के पास होता है, लेकिन दोनों के फैलाव और प्रभाव में बहुत फर्क होता है। अब रक्षाबंधन को ही लें। इस दिन अपनी बहनों के अलावे अपने जिले या राज्य की अन्य बच्चियों या महिलाओं से राखी बंधवाते कई नेता देखे जा सकते हैं, लेकिन पिछले 7 वर्षों से इस दिन पेड़ों को राखी बांधते किसी राज्य का मुखिया देखा जाता है तो वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं।

जी हाँ, यह बिहार के इस अनोखे रक्षाबंधन का सिलसिला आज से छह साल पहले शुरू हुआ। वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रक्षाबंधन पर राजधानी वाटिका में वृक्षों को रक्षा-सूत्र से बांधकर इनकी हिफाजत करने तथा पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया था। आज भी रक्षाबंधन के मौके पर नीतीश कुमार ने राजधानी वाटिका स्थित अपने लगाए हुए पाटलि के वृक्षों को राखी बांधी। इस मौके पर भव्य समारोह आयोजित हुआ जिसमें उपमुख्यमंत्री एवं वन व पर्यावरण मंत्री सुशील कुमार मोदी, ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा, पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव, मुख्य वन संरक्षक डीके शुक्ला सहित कई गणमान्य ने वृक्षों को रक्षा-सूत्र से बांधा।

इस बेहद खास मौके पर मुख्यमंत्री ने वृक्षारोपण भी किया। उन्होंने आह्वान किया कि रक्षाबंधन के दिन सभी लोग वृक्ष को रक्षा सूत्र से बांधें। बिहार में यह एक नई परम्परा शुरू हुई है जिसे आप सब आगे बढ़ाएं। मुख्यमंत्री के आह्वान पर लोगों ने इको पार्क के वृक्षों को राखी बांधी। विभिन्न स्कूलों की बच्चियों का उत्साह इस अवसर पर देखने लायक था। क्या हम यह संकल्प नहीं ले सकते कि पहले बिहार का, फिर देश का हर व्यक्ति इस दिन एक पेड़ को जरूर राखी बांधे? नीतीश कुमार के विज़न को सही विस्तार मिले, इसके लिए क्या इतनी-सी जहमत नहीं उठा सकते हमलोग?

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