रक्षाबंधन : जब रविंद्रनाथ टैगोर ने हिंदू-मस्लिम एकता के लिए राखी पर्व को बनाया जरिया

रक्षाबंधन भाई-बहन के स्नेह और उल्लास का पर्व माना जाता है। भारत के प्रमुख पर्वों में राखी भी प्रमुखता से मनाई जाती है। यह एकमात्र ऐसा पर्व है, जिस दिन बहनों का अत्यधिक महत्व होता है। देश के हर क्षेत्र में यह त्योहार मनाया जाता है, लेकिन उसे मनाने का तरीका और नाम अलग-अलग हो सकते हैं।

उत्तर भारत में जहां यह कजरी-पूर्णिम के नाम से मनाया जाता है, वहीं पश्चिमी भारत में इसे नारियल-पूर्णिमा कहते हैं। बहन द्वारा भाई को रक्षासूत्र बांधने का यह चलन कब से शुरु हुआ यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतिहास में रक्षाबंधन का जिक्र जरूर मिलता है।

रक्षाबंधन की 5 ऐतिहासिक घटनाएं -1 ऐसा माना जाता है कि स्वर्ग देवता इंद्र जब असुरों से पराजित हए थे, तो उनके हाथ पर उनकी पत्नी इंद्राणी ने रक्षा-सूत्र बांधा था, ताकि वह दुश्मनों का डटकर सामना कर सकें। 2 एक बार की बात है जब भगवान कृष्ण की अंगुली से रक्त बह रहा था। पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर उनकी अंगुली पर बांध दिया। भगवान कृष्ण ने उनकी रक्षा करने का संकल्प लिया और आजीवन उसे निभाते रहे।

3 जब राजा पोरस और महान योद्धा सिकंदर के बीच युद्ध हुआ तो सिकंदर की पत्नी ने पोरस की रक्षा के लिए उसकी कलाई पर धागा बांधा था। इसे भी रक्षा-बंधन का एक स्वरूप ही माना जाता है।4 भारतीय इतिहास में ऐसा ही एक और उदाहरण मिलता है, जब चित्तौड़ की रानी कर्मावती ने बहादुरशाह से अपनी रक्षा के लिए हुमायूं को राखी बांधी थी। हुमायूं उसकी रक्षा की पूरी कोशिश करता है, लेकिन दुश्मनों के बढ़ते कदम को रोक नहीं पाता और अंतत: रानी कर्मावती जौहर व्रत धारण कर लेती है।

5 आधुनिक इतिहास में भी इसका उदाहरण मिलता है, जब नोबल पुरस्कार विजेता रविंद्रनाथ टैगोर ने बंगाल विभाजन के बाद हिंदुओं और मुसलमानों से एकजुट होने का आग्रह किया था और दोनों समुदायों से एक-दूसरे की कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधने का निवेदन किया था।

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