राम सेतु का ठोस सबूत नहीं है… संसद में मोदी सरकार ने एक प्रश्न का दिया जवाब
मोदी सरकार ने संसद में कहा है कि रामसेतु के ठोस सबूत नहीं हैं. 2007 में मनमोहन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उसके मानव निर्मित होने के वैज्ञानिक सबूत नहीं हैं, इतना विरोध हुआ कि हलफनामा वापस लेना पड़ गया था.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा अंतरिक्ष विभाग के मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि रामसेतु को लेकर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के माध्यम से जिन अवशेषों की खोज हुई है, उन्हें निश्चित रूप से सेतु के अवशेष या पुल के हिस्से नहीं कहा जा सकता है। मगर रामसेतु वाले स्थान पर उस सामग्री की एक निश्चित मात्रा में मौजूदगी से कुछ अनुमान लगाया जा सकता है।
सिंह ने यह बात गुरुवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में कही। उनसे कार्तिकेय शर्मा ने सवाल पूछा था कि क्या सरकार आधुनिक प्रौद्योगिकी के जरिये देश के गौरवशाली अतीत का मूल्यांकन करने का प्रयास कर रही है। इसके जवाब में सिंह ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक के जरिए अतीत जानने को लेकर पहली बार इस सदन में प्रश्न पूछा गया है। इसलिए यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि अंतरिक्ष विभाग इस कार्य को कर रहाहै। इस दिशा में हड़प्पा सभ्यता के संबंध में भी हमने कुछ अवशेष और जानकारी हासिल की है। रामसेतु के विषय में पता लगाने की हमारी कुछ सीमाएं हैं, क्योंकि इसका इतिहास 18 हजार साल से ज्यादा पुराना है।
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